सफला एकादशी के व्रत से मिलती है हर काम में सफलता
पौष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का बड़ा महत्व है। सफला एकादशी पर भगवान श्री नारायण की पूजा करनी चाहिए। एकादशी को श्री विष्णु...
पौष मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का बड़ा महत्व है। सफला एकादशी पर भगवान श्री नारायण की पूजा करनी चाहिए। एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति रहती है। एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों तथा गरीबों को भोजन, दान देना चाहिए। सफला एकादशी के दिन दीपदान का विशेष विधान है।
पद्मपुराण के अनुसार सफला एकादशी की कथा इस प्रकार है। महिष्मान नामक राजा का पुत्र लुम्पक पाप कर्म में लिप्त रहता था। इससे नाराज होकर राजा ने पुत्र को देश निकाला दे दिया। लुम्पक जंगल में रहने लगा। पौष माह में कृष्ण दशमी की रात ठंड के कारण वह सो न सका। सुबह होते ही वह बेहोश हो गया।
एकादशी की कहानी
आधा दिन गुजर जाने के बाद जब वह होश में आया तो जंगल से उसने फल एकत्र किए। सूर्यास्त के बाद वह अपने भाग्य को कोसते हुए भगवान को याद करने लगा। एकादशी की रात भी वह सो नहीं सका। इस तरह अनजाने में लुम्पक से सफला एकादशी का व्रत पूरा हो गया। इस व्रत के प्रभाव से वह सुधर गया और पिता ने उसे अपना सारा राज्य सौंप दिया।
धर्म पूर्वक शासन करने के बाद लुम्पक भी तपस्या करने चला गया और मृत्यु के पश्चात उसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि सफला एकादशी के व्रत से जीवन में उत्तम फल की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन चावल से बना भोजन, लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस व्रत को करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है, इसीलिए इसका नाम सफला एकादशी है।