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ये हैं सर्फिग के सूत्र

आजकल युवाओं की पहली पसंद के रूप में नेट सर्फिग ने अपनी जगह बना ली है। हाल में हुए एक सर्वे पर गौर करें जिसमें युवतियों ने सेक्स के मुकाबले प्राथमिकता नेट सर्फिग को दी है। इसके विपरीत एक सर्वे में...

ये हैं सर्फिग के सूत्र
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 04 Mar 2010 10:58 PM
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आजकल युवाओं की पहली पसंद के रूप में नेट सर्फिग ने अपनी जगह बना ली है। हाल में हुए एक सर्वे पर गौर करें जिसमें युवतियों ने सेक्स के मुकाबले प्राथमिकता नेट सर्फिग को दी है। इसके विपरीत एक सर्वे में करीब 30 फीसदी लोगों की शिकायत थी उन्हें सर्फिग के दौरान कई तरह की अवांछित समस्याओं का सामना करना पड़ा। 

इनमें सबसे ज्यादा परेशानी गंदे और बेहूदा कंटेंट और अवांछित ऑफर को लेकर थी। इसके अलावा अकसर चैटिंग के दौरान चीटिंग करने वाले फालतू मेल भी आते रहते हैं। दोस्ती करने, कंप्यूटर को सुरक्षा प्रदान करने या लुभावने ऑफर के साथ वायरस भी आ धमकते हैं। कभी-कभी ऐसे ईमेल से भी सामना हो जाता है जिसकी आड़ में गैरजरूरी प्रस्ताव और वायरस साथ आते हैं।

ऐसे सभी मौकों पर मन में यह सवाल जरूर आता है कि नेट पर सुरक्षित सर्फिग के लिए क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। इसी पर आज बात करते हैं। नेट पर सर्फिग के दौरान यदि आप चौकस रहें तो सुरक्षित सर्फिग करना उतना मुश्किल भी नहीं है, जितना कि लगता है।

खतरा ई मेल से
नेट इस्तेमाल के दौरान अगर कोई आपको फालतू की चीजें मेल करे, तो खोलने या जवाब देने से परहेज करने के अलावा ऐसे मेल या एप्लीकेशंस को आप ब्लॉक भी कर सकते हैं। याद रखिए अनजाने ईमेल के साथ आए अटैचमेंट के रूप में ही सबसे ज्यादा वायरस आने का खतरा रहता है। इसलिए किसी भी संदिग्ध मेल के अटैचमेंट्स को बिना जांचे-परखे डाउनलोड न करें। आजकल ऐसे कई सॉफ्टवेयर हैं, जो अवांछित मेल को रोकते हैं। ऐसे सॉफ्टवेयर अपने कंप्यूटर पर लोड करके उसे खतरों से बचाया जा सकता है। वैसे कई ई-मेल प्रोवाइडर भी यह सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं।

सूचनाएं देने में सावधानी बरतें
नेट सर्फिग के दौरान सुरक्षित रहने का एक जरूरी मंत्र यह है कि अपने पूरे नाम, सही पते, फोन नंबर और बैंक खाते से संबंधित सूचना नए और अनजान मित्रों से शेयर न करें। अपने फोटोग्राफ को भी सीमित दायरे में इस्तेमाल की  छूट दें। नेट पर बने किसी भी मित्र से पहली मुलाकात अकेले न करें। इसमें कोई खतरा हो सकता है।

आजकल बहुत सी साइट्स आपसे पुरस्कार, सर्वेक्षण, रजिस्ट्रेशन के बहाने निजी सूचनाएं और ईमेल का पासवर्ड मांगती हैं, इनसे चौकस रहें। दरअसल, इसमें बहुत सी ऐसी हैं जो ईमेल डाटा एकत्र कर विज्ञापनदाताओं को बेचती हैं। ऐसी बहुत सी साइट्स खुद भी तरह-तरह के प्रोडक्ट बेचने की कोशिश कर सकती हैं। ऑनलाइन शापिंग के कारोबार से जुड़ी साइट्स भी ऐसा करती हैं। इनसे सावधान रहने में ही भलाई है। एमएसएन के एक सर्वे के मुताबिक यूरोप के 51 परसेंट टीनएजर्स बिना सोचे समङो साइट खंगालते हैं। इसके लिए यूरोप के 14 से 19 साल के बीच के 20 हजार युवाओं के बीच किए गए सर्वे से यह बात सामने आई है।

यूरोप में माइक्रोसॉफ्ट के कंज्यूमर और ऑनलाइन डिविजन प्रमुख जन मैंगलार्स के अनुसार यह हैरत की बात है कि 50 परसेंट से ज्यादा युवाओं की ओर से की जाने वाली नेट सर्फिग में किसी तरह का नियंत्रण नहीं है। उनके अनुसार बेवो, माइस्पेस और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किग साइट्स का चलन बढ़ने से भी युवा धीरे-धीरे नियमित वेब गोअर्स बन रहे हैं। साइबर कैफे में एक ऐसे ही युवा से जब हमने अजनबी लोगों से सावधान रहने पर बात की तो उसका कहना था कि अजनबी लोगों से दोस्ती करने के लिए ही तो हम ऐसी साइट्स पर जाते हैं, फिर जानकारी शेयर करने में परहेज भला क्यों करें?

उसके कई ऐसे दोस्त और भी हैं, जो दूसरे नेटसेवी के साथ एक या दो बार बातचीत करके ही काफी घुलमिल जाते हैं और व्यक्तिगत जानकारियां लेने-देने लगते हैं। कई लोग तो ऑनलाइन संपर्क में आने वालों के साथ भावनात्मक रिश्ते तक कायम कर लेते हैं। हालांकि यह रिश्ता होता ऐसा है जिसका कोई मजबूत आधार नहीं होता। जानकारियां झूठी भी हो सकती हैं। ऐसे में लगता तो यही है कि इन युवाओं को इंटरनेट के इस्तेमाल की ट्रेनिंग दिए जाने की खास तौर पर जरूरत जरूरत है। 

हमारे देश में यह समस्या बढ़ रही है कि युवाओं को नेट सर्फिग का आनंद उतना नहीं मिल पाता जितना कि नई-नई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल में एक 18 वर्षीय लड़की ने अपने अनुभव नेट पर लिखते हुए बताया है कि एक शादीशुदा 38 साल का व्यक्ति उससे 21 साल का कुंवारा बनकर बातें बनाता रहा। यह जानने के बाद उससे अपने भेजे फोटो नष्ट करने की हिदायत देते हुए उसने खरी खोटी सुनाई है।

एक मॉडल है जो तमाम सोशल नेटवर्किग साइट्स पर अपनी नाइटलाइफ तक के किस्से और फोटो धड़ल्ले से शेयर कर रही है और उसे इन साइट्स पर सबसे ज्यादा हिट्स भी मिलते हैं। पर यह सभी सर्फिग करने वालों के मतलब और जरूरत की चीज नहीं है। ऐसे युवाओं की तादाद ज्यादा है जो अपने करियर, जनरल नॉलेज और कौतुहल को शांत करने में साइट सर्च करते हैं। फिर भी 20 फीसदी युवा ऐसे हैं जो सिर्फ मनोरंजन के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यह तय है जानबूझ कर नेट के जरिए अपने सिस्टम पर बेवजह की आफत कोई क्यों मोल लेना चाहेगा? आप भी चौकस हैं ना?

मददगार इंटरनेट एक्सप्लोरर
नेट इस्तेमाल में खतरों को देखते हुए गूगल बज और फेसबुक सहित कई सोशल साइटों ने जानकारी को सीमित आधार पर शेयर करने का विकल्प अपने उपभोक्ताओं को दिया है। नेट पर सुरक्षित रहने के मामले में इंटरनेट एक्सप्लोरर ही आपका बेहतर मददगार है। इसके लिए आपको सैटिंग को सुरक्षित करना होगा।

इसके लिए पहले आप इंटरनेट एक्सप्लोरर के टूल्स पर क्लिक करें, इसके खुलने पर नीचे इंटरनेट ऑप्शंस पर क्लिक करें। इसके खुलने पर कंसोल ऑप्शन में जाकर सिक्योरिटी टैब पर क्लिक करें। सिक्योरिटी जोन में एक्टिव स्क्रिप्टिंग के लिए- इंटरनेट, लोकल इंटरनेट या स्ट्रिक्टिड पर जाकर विकल्प चुनें। बेहतर सुरक्षा के लिए कस्टम लेवल का चयन करें। ऑपशन में एक्टिव एक्स कंट्रोल और प्लग-इन्स को डिसेबल कर दें। इससे कुछ साइट्स का ठीक से काम करना प्रभावित होता है। 

खासकर उनका जो आपके कंप्यूटर पर बिन बुलाए हरकत करना चाहती हैं। यह आपको तय करना है कि आप किस विकल्प के अधीन सुरक्षित रह कर सर्फिग करना चाहेंगे। आजकल फायर फॉक्स, गूगल क्रोम और एवीजी का फ्री वायरस प्रोटेकशन आपके लिए मददगार हो सकता है। पॉपअप ब्लाक रख कर भी आप अनचाहे विज्ञापनों और सूचना अवतरण को काबू कर सकते हैं। 

-एंटीवायरस का इस्तेमाल करें और उसे अपडेट करते रहें।
-थर्ड पार्टी को कुकीज डालने की छूट पर रोक लगाएं।
-अपने कंप्यूटर का महत्वपूर्ण डाटा अलग डिस्क या सीडी में सेव करते रहें।
-जब इस्तेमाल न कर रहे हों तो इंटरनेट कनेक्शन को डिसकनेक्ट करना न भूलें।
-किसी साइबर कैफे में जाएं तो अपनी टैंपरेरी इंटरनेट फाइलें उड़ाना न भूलें।

डाउनलोड में चौकसी
इंटरनेट से जुड़ी किसी भी ऐसी एप्लीकेशन को जब आप डाउनलोड करें जिसमें डाक्यूमेंट, पिक्चर, ऑडियो या वीडियो को शेयर करना एक्सेस होता हो तो उसके बारे में दो बातों पर चौकसी बरतना जरूरी है। पहली तो यह कि डाउनलोड से पहले आपके अपने अपडेटेड एंटी वायरस की कसौटी पर उसे परख लें।

दूसरे यह भी सुनिश्चित करें कि डाउनलोड की जाने वाली एप्लीकेशन सिक्योरिटी सर्टिफाइड अथॉरिटी से से अनुमोदित हो। मसलन, यह वेरी साइंड से प्रमाणित हो तो इससे आप आश्वस्त हो सकते हैं। ऐसी एप्लीकेशंस जिनमें कोई सिक्योरिटी सर्टिफिकेट न हो आपके कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल को नुकसान पहुंच सकता है।

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