अप्रैल-जनवरी अवधि में 34 फीसदी बढ़ा राजकोषीय घाटा
वित्त वर्ष 2009-10 की अप्रैल-जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा 34 फीसदी बढ़कर 3.5 लाख करोड़ रूपए रहा, जो पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में 2.62 लाख करोड़ रूपए था। वैश्विक वित्तीय संकट से अर्थव्यवस्था को...
वित्त वर्ष 2009-10 की अप्रैल-जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा 34 फीसदी बढ़कर 3.5 लाख करोड़ रूपए रहा, जो पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में 2.62 लाख करोड़ रूपए था। वैश्विक वित्तीय संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये सरकार की ओर से दिए गए प्रोत्साहन पैकेज का असर राजकोषीय घाटे पर पड़ा है।
अप्रैल-जनवरी अवधि में राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में बजटीय अनुमान का 87.2 फीसदी है। बजट अनुमान में राजकोषीय घाटा 4.01 लाख करोड़ रूपए रहने की बात कही गई है।
सितंबर 2008 में शुरू हुए वित्तीय संकट के मद्देनजर आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के इरादे से सरकार ने दिसंबर 2008 से एक तरफ जहां सार्वजनिक व्यय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की, वहीं दूसरी ओर शुल्कों में तीन चरणों में कटौती की।
हालांकि सरकार ने 2010-11 के बजट में प्रोत्साहन पैकेज को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके तहत उत्पाद शुल्क 2 फीसदी बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया और अन्य कर की दरों में बढ़ोतरी की, जिससे कार, एसी, और अन्य कई अन्य चीजें महंगी हो गई।
चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है जो पूर्व के 6.8 फीसदी के अनुमान से थोड़ा ज्यादा है। वित्त वर्ष 2010-11 के लिए राजकोषीय घाटा 5.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।
इसी प्रकार, सरकार का राजस्व घाटा जनवरी तक बढ़कर 2.84 लाख करोड़ रूपए रहा। पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले यह 100 फीसदी अधिक है।
सरकार की कर वसूली का हिस्सा 3.33 लाख करोड़ रूपए रहा जो राजस्व प्राप्ति का बड़ा हिस्सा है। जनवरी तक केंद्र का कुल व्यय 7.83 लाख करोड़ रूपए रहा, जबकि प्राप्ति 4.34 लाख करोड़ रूपए रही। सरकार के 7.83 लाख के कुल व्यय में गैर-योजनागत व्यय का हिस्सा 70 फीसदी है। इसमें ब्याज भुगतान की राशि शामिल है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कुल व्यय 10.2 लाख करोड़ रूपए रहने का अनुमान जताया है। इसमें से 76.8 फीसदी हिस्सा पहले ही व्यय किया जा चुका है।