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खेल पर हमला

अगर कोई यह मानता है कि तालिबानीकरण सिर्फ औरतों को बुरका पहनाने और शरीयत के आदिम कानून को लागू करने तक ही सिमटा है तो उसे लाहौर की ताजा आतंकवादी वारदात पर नजर डालनी चाहिए। अगर बात महा यही होती तो...

 खेल पर हमला
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अगर कोई यह मानता है कि तालिबानीकरण सिर्फ औरतों को बुरका पहनाने और शरीयत के आदिम कानून को लागू करने तक ही सिमटा है तो उसे लाहौर की ताजा आतंकवादी वारदात पर नजर डालनी चाहिए। अगर बात महा यही होती तो श्रीलंका के क्रिकेट खिलाड़ी किसी भी तरह से उनकी प्राथमिकता सूची में नहीं होने चाहिए थे। श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच न तो कोई परंपरागत रािंश है और न कोई कश्मीर जसा तल्ख मसला। खुद अपनी ही घरेलू समस्याओं में फंसा श्रीलंका तालिबान के बारे में क्या सोचता है, यह भी शायद दुनिया को न पता होगा। और जिन आतंकवादियों ने लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम के पास श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर हमला बोला, हो सकता है उनके मन में इस टीम के लिए कोई खूनी दुर्भावना भी न रही हो। उनका निशाना वह आधुनिकता है जो पाकिस्तान में अभी भी लाहौर और कराची जसे शहरों में जहां-तहां बची हुई है। कुछ चीजें जो पाकिस्तान को आधुनिक विश्व से जोड़ती हैं, उनमें क्रिकेट भी एक है। श्रीलंका की टीम पर हमला बोलकर उन्होंने 2011 में होने वाले ‘काफिर’ क्रिकेट के विश्व कप का रास्ता बंद कर दिया है। श्रीलंका पाकिस्तानी क्रिकेट की आखिरी उम्मीद था। आस्ट्रेलिया ने तो एक दशक पहले ही पाकिस्तान जाने से तौबा कर लिया था। इंग्लैंड की टीम जब वहां थी तो उसके होटल के बाहर ही भारी बम विस्फोट हो गया। इसके बाद तो न्यूाीलैंड और दक्षिण अफ्रीका तक ने वहां जाने से मना कर दिया। मुंबई हमले के बाद भारत ने दौरा रद्द कर दिया तो श्रीलंका को सुरक्षा के तमाम आश्वासन देकर बुलाया गया था। जब से यह शुरू हुआ है, कभी दुनिया की सबसे अच्छी टीमों में गिने जाने वाले पाकिस्तान का खेल भी बिगड़ना शुरू हो गया है। लेकिन क्रिकेट ही क्यों, यह पतन पाकिस्तान के राष्ट्र-राज्य और समाज में भी हर तरफ दिखाई दे रहा है। अर्थव्यवस्था लगातार चौपट हो रही है, जिस आतंकवाद को भारत और अफगानिस्तान को डसने के लिए पाला-पोसा गया था, वही अब पाकिस्तान के अपने प्रशासन को बेमतलब बना रहा है। इसी के आधार पर हम पाकिस्तान को अभी तक एक नाकाम राष्ट्र कहते थे, लेकिन इसका संदर्भ अभी तक पाकिस्तान की आंतरिक स्थितियों को लेकर ही था। अब श्रीलंका की टीम पर हमले ने इसे एक अंतरराष्ट्रीय संदर्भ दे दिया है। आज दुनिया के लिए पाकिस्तान एक ऐसा राष्ट्र है जिसकी सरकार के किसी आश्वासन का कोई अर्थ नहीं, क्योंकि उस भूभाग में बहुत कुछ अब उसकी मर्जी के विपरीत ही होता है।

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