राठौर की सजा बढ़ाने को अपील करेगी सीबीआई
रुचिका छेड़छाड़ मामले में जनता के बढ़ते दबाव के बीच सीबीआई ने गुरुवार को हरियाणा के पूर्व पुलिस अधिकारी एसपीएस राठौर की कैद की सजा बढ़ाने के लिहाज से एक अपील करने का फैसला किया और कहा कि मामले में...
रुचिका छेड़छाड़ मामले में जनता के बढ़ते दबाव के बीच सीबीआई ने गुरुवार को हरियाणा के पूर्व पुलिस अधिकारी एसपीएस राठौर की कैद की सजा बढ़ाने के लिहाज से एक अपील करने का फैसला किया और कहा कि मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप दर्ज कराने की संभावना की जांच की जा रही है।
सीबीआई के प्रवक्ता हर्ष बहल ने कहा कि यह महसूस किया गया है कि छह महीने की कैद और एक हजार रुपये का जुर्माना अपर्याप्त है, विशेष तौर पर उस समय जबकि चंडीगढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में कहा कि अपराध पूरी तरह साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने गह और कानून मंत्रालयों से बातचीत की और इसके बाद सक्षम अदालत में आईपीसी की धारा 354 के तहत राठौर की सजा बढ़ाने के लिए अपील करने का फैसला किया गया।
रुचिका मामले में जहां तक आत्महत्या के लिए उकसाने के संबंध में आईपीसी की धारा 306 के लागू होने की बात है, सीबीआई के कानूनी विशेषज्ञ आगे की कार्रवाई के लिहाज से मुद्दे की पड़ताल कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर सीबीआई के नजरिए पर अंतिम मुहर लगाने से पहले भारत के सालिसिटर जनरल की सलाह को भी संज्ञान में लिया जाएगा।
राठौर को छह महीने की कैद की सजा सुनाए जाने पर आम जनता की तरफ से और मीडिया की तरफ से व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। जिसके बाद सीबीआई और केंद्र तथा राज्य सरकारों ने मामले की फिर से पड़ताल शुरू कर दी।
हरियाणा पुलिस ने पहले ही राठौर के खिलाफ नये सिरे से दो मामले दर्ज किये हैं। राठौर ने अग्रिम जमानत हासिल करने का प्रयास किया लेकिन कोई अंतरिम राहत नहीं मिल सकी।
सीबीआई ने फैसले के संबंधित पैराग्राफ को भी जारी किया, जिनमें कहा गया है, सीबीआई की दलील है कि दोषी का अपराध पूरी तरह साबित हुआ है। सीबीआई वकील ने कहा कि सजा का उद्देश्य देखा जाना चाहिए ताकि अपराध बिना दंड के नहीं रह जाए।
फैसले में कहा गया कि दोषी का अपराध पहले ही पूरी तरह साबित हुआ है। दोषी के खिलाफ आरोप हैं कि उसने पीड़ित रुचिका के शीलभंग के इरादे से उसके साथ दुर्व्यवहार किया और आपराधिक शक्ति का इस्तेमाल किया और इस दौरान उसने अपने दूसरे हाथ से रुचिका का हाथ पकड़ा, उसे अपनी ओर खींचा और उसे अपने करीब लाया, इस तरह उसका शीलभंग किया।
फैसले के मुताबिक, इस तरह की परिस्थितियों में दोषी के खिलाफ उदार रवैया नहीं अपनाया जा सकता। हालांकि सजा की अवधि तय करते समय लंबी सुनवाई और दोषी की उम्र पर विचार किया जा सकता है।