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खत्म होगा खेल प्रशिक्षकों का अकाल

राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी और शारीरिक शिक्षा का प्रशिक्षण ले चुके युवाओं को अस्थाई रूप से प्रशिक्षक के रूप में रखने की योजना पर खेल विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि इस बारे में जल्द...

खत्म होगा खेल प्रशिक्षकों का अकाल
एजेंसीWed, 30 Dec 2009 11:07 PM
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राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी और शारीरिक शिक्षा का प्रशिक्षण ले चुके युवाओं को अस्थाई रूप से प्रशिक्षक के रूप में रखने की योजना पर खेल विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि इस बारे में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।

विभाग खिलाड़ियों के प्रशिक्षण को लेकर कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं है। इसके तहत जिस खेल का प्रशिक्षक नहीं होगा, वहां पर डीएसओ अस्थाई तौर पर कोच नियुक्त कर सकेंगे।

साइबर सिटी में कई खेलों के कोच नहीं हैं। जबकि, संसाधन मौजूद हैं। इस कारण खिलाड़ियों को ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही है। इसमें प्रमुख रूप से बैडमिंटन, बाक्सिंग, टेनिस, टेबल टेनिस, लान टेनिस, बालीवाल, चेस सहित कई खेलों के अब तक कोच नहीं है। जबकि बाक्सिंग और टेनिस में जिले के युवाओं में काफी क्रेज है।एसोसिएशन के बाक्सिंग सेंटरों पर खिलाड़ियों की भीड़ लगी रहती है।

गुड़गांव दौरे पर आए खेल निदेशक ओपी सिंह के सामने डीएसओ ने कोचों की कमी की समस्या रखी थी। इस पर निदेशक ने डीएसओ को निर्देश दिया कि जिन खेलों के प्रशिक्षक नहीं हैं, इसके लिए अस्थाई रूप से कोच रखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें एनआईएस या फिर नेशनल और इंटरनेशनल स्तर का खिलाड़ी सहित डीपीएड(शारीरिक शिक्षा) किए हुए लोगों को रखा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि विभाग 171 कोचों की नियुक्ति करने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन, जिला स्तर पर अस्थाई कोच रखने के बारे में जल्द दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। डीएसओ कुलविन्दर सिंह ने बताया कि विभाग से हरी झंडी मिलते ही जरूरत के अनुसार खेल प्रशिक्षकों को रखा जाएगा।

उन्होंने बताया कि हॉकी, क्रिकेट, जिमनास्टिक, तीरंदाजी, योगा, वालीबॉल, फुटबॉल, जूडो, एथलेटिक्स और कुश्ती सहित 25 कोच है।

हरियाणा बाक्सिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भीम ठाकरान ने कहा कि जिले में लगभग तीन दजर्न प्रशिक्षण केन्द्र चल रहे हैं। कोच मिलने से जिला स्तर पर बाक्सरों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सकेगा।

उन्होंने कहा कि गुड़गांव के तीन बाक्सरों का नेशनल स्तर पर चयन किया गया है। इससे पहले राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में कई ट्रॉफिया मिल चुकीं हैं।

 

 

 

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