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रुचिका मामले की फिर जांच को लेकर याचिका दायर

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में मंगलवार को दायर की गई जनहित याचिका में रुचिका केस के पूरे मामले की जांच की मांग की गई। यह याचिका विश्व मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष रंजन लखनपाल ने दायर की है।...

रुचिका मामले की फिर जांच को लेकर याचिका दायर
एजेंसीTue, 29 Dec 2009 05:46 PM
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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में मंगलवार को दायर की गई जनहित याचिका में रुचिका केस के पूरे मामले की जांच की मांग की गई। यह याचिका विश्व मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष रंजन लखनपाल ने दायर की है। उन्होंने न्यायालय से अपील की है कि नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ के आरोपी हरियाणा पुलिस के पूर्व महानिदेशक एसपीएस राठौर का साथ देने वाले न्यायिक प्रशासनिक और पुलिस के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के निर्देश जारी किए जाएं।

उन्होंने कहा है कि दसवीं कक्षा की छात्रा रुचिका को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले सभी मामलों को गंभीरता से लिया जाए। उसमें रुचिका को साजिश के तहत स्कूल से निकाला जाना, उसके भाई के खिलाफ झूठे मामले दर्ज होना तथा प्रताडि़त किया जाना, पिता पर झूठा मामला दर्ज होना, परिवार को परेशान करने जैसे कई मामले शामिल हैं।

लखनपाल के अनुसार छेड़छाड़ की घटना 1990 में हुई और आत्महत्या 1993 में की गई। इस बीच जो घटनाएं उसकी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार हैं, उनकी जांच हो। इस मामले में नौ साल बाद मामला दर्ज हुआ और उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद नौ साल बाद फैसला आना ऐसी बातें हैं जिनकी जांच जरूरी है तभी सच्चाई सामने आ सकेगी।

उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि ऐसे संगीन अपराधों के फैसले का समय निर्धारित हो ताकि रुचिका की आत्मा को शांति मिल सके तथा कोई और लड़की ऐसा कदम उठाने पर मजबूर न हो।

किशोरी रुचिका गिरहोत्रा को वर्ष 1993 में आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दस वर्ष की सजा की मांग करते हुए हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस पी एस राठौड़ के खिलाफ मामला दोबारा शुरू करने के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में मंगलवार को एक जनहित याचिका दाखिल की गई।

जनहित याचिका में कहा गया है कि राठौड़ को भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया जाना चाहिए जिसमें अधिकतम दस वर्ष सजा का प्रावधान है।

लखनपाल ने यह मांग भी की है कि उस स्कूल के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए जिसने रचिका को राठौड़ के कथित दबाव के कारण निष्कासित कर दिया था। चंडीगढ़ से दस किलोमीटर दूर पंचकुला में रचिका के परिजनों और मित्रों ने मार्च निकाला और उस घर के सामने दीपक जलाया जहां रचिका तब रहती थी।

रचिका ने 28 दिसम्बर वर्ष 1993 में जहर खा लिया था और अगले दिन उसने दम तोड़ दिया था। राष्ट्रीय महिला आयोग ने राठौड़ के खिलाफ रुचिका को आत्महत्या के लिए उकसाने, उसके भाई की हत्या का प्रयास करने और आपराधिक साजिश रचने के लिए आरोपित करने के लिए केंद्र और हरियाणा सरकार को पत्र लिखे हैं।

चंडीगढ़ प्रशासन ने सैक्रेड हार्ट स्कूल के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं जिसने हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस पी एस राठौर द्वारा छेड़खानी किए जाने के बाद रुचिका गिरहोत्रा को स्कूल से निकाल दिया था।

शिक्षा सचिव राम निवास ने जांच का आदेश दिया है। जांच उन कारणों को जानने के लिए शुरू की गई है जिनकी वजह से तब 14 साल की रुचिका को स्कूल से निष्कासित कर दिया गया था। निवास ने कहा कि हमने जांच शुरू कर दी है। उप संभागीय मजिस्ट्रेट प्रेरणा पुरी को जांच अधिकारी बनाया गया है। यह समयबद्ध जांच होगी और हमने उनसे एक हफ्ते के भीतर काम पूरा करने को कहा है।

उन्होंने कहा कि यद्यपि यह बेहद पुराना मामला है और प्राचार्य और प्रबंधन के ज्यादातर सदस्य बदल गए है लेकिन तब भी हम कुछ परिस्थितिजन्य साक्ष्य निकालने में सक्षम होंगे। हम रिकार्ड पर जो भी सामग्री उपलब्ध होगी, उसे जनता के समक्ष लाएंगे।

रुचिका की सहेली आराधना की मां मधु प्रकाश ने चंडीगढ़ प्रशासन के समक्ष स्थानीय सैक्रेड हार्ट स्कूल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि लड़की को प्रताडि़त किया गया क्योंकि राठौर की बेटी भी उसी कक्षा में पढ़ती थी।

यद्यपि स्कूल ने कोई टिप्पणी नहीं की लेकिन सूत्रों ने कहा कि निष्कासन का आदेश 19 साल पहले तत्कालीन प्रबंधन ने दिया था, जिसमें इन सालों में काफी बदलाव आ चुका है। स्कूल के मौजूदा अधिकारियों को उन कारणों की जानकारी नहीं है, जिनकी वजह से रुचिका को स्कूल से निष्कासित किया गया था।

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