अब हर शिकायत दर्ज होगी एफआईआर बनकर
दिल्ली समेत सभी केंद्रशासित प्रदेशों में थाने में की गई शिकायत को प्राथमिकी (एफआईआर) के रूप में दर्ज किया जाएगा। रुचिका गिरहोत्रा की सोलहवीं बरसी के अवसर पर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को यह...
दिल्ली समेत सभी केंद्रशासित प्रदेशों में थाने में की गई शिकायत को प्राथमिकी (एफआईआर) के रूप में दर्ज किया जाएगा। रुचिका गिरहोत्रा की सोलहवीं बरसी के अवसर पर गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहने का फैसला किया है कि वे पुलिस से की गई सभी शिकायतों को एफआईआर के रूप में दर्ज करें और सजायाफ्ता पुलिस अधिकारियों के मेडल वापस ले लें।
सोमवार को गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगले सप्ताह एक सरक्यूलर जारी कर राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से थाने में आने वाली सभी शिकायतों को एफआईआर के रूप में दर्ज करने को कहा जाएगा। इस सरक्यूलर से दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे केंद्रशासित प्रदेशों में शिकायत को एफआईआर के रूप में दर्ज करना आवश्यक बना दिया जाएगा। केंद्र शासित प्रदेशों में कानून-व्यवस्था की निगरानी गृह मंत्रालय के अधीन है। दूसरी ओर, राज्यों के मामले में संबंधित राज्य सरकारों को इस सरक्यूलर को प्रभावी बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी होंगे।
यह फैसला लोगों की ओर से बार-बार शिकायत मिलने के बाद उठाया गया है। पुलिस अक्सर शिकायत दर्ज करने के मामले में टाल-मटोल की रणनीति अपनाती है और किसी शिकायत पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने से अनिच्छा जताती है। इस परिपत्र का उद्देश्य है कि अगर कोई शिकायत झूठी भी हो तो भी पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कर उसकी जांच करनी है।
सीआरपीसी में प्रस्तावित संशोधन के जरिए सरकार थाना प्रभारी के लिए किसी भी शिकायत के मिलने के बाद मामला दर्ज किए जाने और मामला दर्ज नहीं किए जाने का कारण बताना अनिवार्य बनाना चाहती है। इन नियमों को 4 जनवरी को गृह सचिव जी.के. पिल्लै की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में मंजूरी मिलने की उम्मीद है। एक अधिकारी ने बताया, ‘शिकायत गलत है तो पुलिस प्राथमिकी हटा सकती है। लेकिन यह सही शिकायतों को प्राथमिकी के तौर पर दर्ज करने में बाधक न बने।’