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जीवन आसान बनाने में जुटा रहा विज्ञान

जीन चिकित्सा की किताब भारतीय वैज्ञानिकों ने 52 साल के भारतीय व्यक्ति की जीन कुंडली तैयार कर ली है। यह व्यक्ति झारखंड का रहने वाला है तथा ऑस्ट्रो-एशियन आनुवांशिक बैकग्राउंड का है। सुपर कंप्यूटिंग...

जीवन आसान बनाने में जुटा रहा विज्ञान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 27 Dec 2009 09:08 PM
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जीन चिकित्सा की किताब
भारतीय वैज्ञानिकों ने 52 साल के भारतीय व्यक्ति की जीन कुंडली तैयार कर ली है। यह व्यक्ति झारखंड का रहने वाला है तथा ऑस्ट्रो-एशियन आनुवांशिक बैकग्राउंड का है। सुपर कंप्यूटिंग सुविधा का इस्तेमाल करते हुए इसके 3.1 अरब बेस पेयर्स की स्टडी दी गई है। इसके बाद अब वैज्ञानिक देश में मौजूद अन्य जेनेटिक समुदायों के लोगों की जेनेटिक सीक्वेंसिंग के कार्य में जुट गए हैं, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि दवा में इस शोध का फायदा तभी होगा जबकि भारत में मौजूद हर समुदाय के कम से कम एक व्यक्ति का ऐसा ही जेनेटिक मैप तैयार कर ले।
स्टेम सेल-मेडिकल साइंस की नायाब कोशिश
कोलंबिया की रहने वाली महिला की क्षतिग्रस्त ट्रेकिया यानी श्वासनालिका सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट करने में सफलता प्राप्त की है। डॉक्टरों ने उसके स्टेम सेल से नई श्वासनली बनाकर प्रत्यारोपित कर दी। इसके अलावा बिना हृदय के 118 दिन जीवित रख हृदय प्रत्यारोपित कर भी वैज्ञानिकों ने चमत्कार कर दिया। वहीं दिन-ब-दिन हो रहे चमत्कारों की वजह से कई परिकल्पनाओं के हकीकत बनने की उम्मीद जगी है जैसे कि डायनासोर और मैमथ। वैज्ञानिकों का मानना है कि मैमथ यानी विशालकाय हाथी जो सामान्य हाथी का तकरीबन तीन गुना रहा होगा, उसे भी स्टेम सेल कोशिकाओं की सहायता से बनाया जा सकता है।
मिसिंग लिंक
जर्मनी में वैज्ञानिकों ने घोषणा की थी कि 26 वर्ष पूर्व वहां मिले एक जीवाश्म में वैसी कई शारीरिक विशेषताएं थीं जिन्हें इनसान और उसके पूर्वज प्राणियों के बीच मिसिंग लिंक के नाम से जाना जाता है। मिसिंग लिंक यानी कुछ ऐसी विशेषताओं वाला एक प्राणी, जो इनसान का पूर्वज रहा होगा जिससे होमो सेपियन यानी आधुनिक इनसान मतलब हम और आप अस्तित्व में आए थे। यह जीवाश्म एक मादा का था जिसे ‘इडा’ नाम दिया गया और इसका वैज्ञानिक नाम मशहूर जीव विज्ञानी चाल्र्स डारविन के नाम पर ‘डारविनियस मैसीले’ रखा गया था।
वेजीटेरियन मीट
नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में वेजीटेरियन मीट तैयार किया है। हालांकि इस कृत्रिम मांस को अभी चखा नहीं गया है, पर वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि अगले पांच सालों में ये बाजार में उपलब्ध होगा।
अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमी वर्ष
वर्ष 2009 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस बार अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमी वर्ष घोषित किया था। 400 वर्ष पहले गैलीलियो ने टेलीस्कोप द्वारा खगोलीय घटनाओं को देखा था। इस साल को खगोलीय घटनाओं के 400वें शताब्दी वर्ष के रूप में भी मनाया गया। इस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमी वर्ष घोषित करने के पीछे मकसद यह था कि लोग यह जानें कि किस तरह खगोल शास्त्र ने मानव सभ्यता के विकास में सहायता की। इस वर्ष ही हब्बल टेलीस्कोप भी अपने पांचवें और अंतिम मिशन के लिए तैयार हो गया, जिसे 12 मई को प्रक्षेपित किया गया। गौरतलब है कि हब्बल मिशन की शुरुआत 24 अप्रैल, 1990 को हुई थी जिसमें यूरोपियन स्पेस एजेंसी, नासा और स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीटय़ूट ने मिलकर बनाया था।
डार्विन और गैलीलियो
वर्ष 2009 विज्ञान के लिहाज से ऐतिहासिक साबित होने जा रहा है, इस वर्ष जहां महान जीव वैज्ञानिक डार्विन की 200वीं सालगिराह मनाई गई, तो खगोलविद् गैलीलियो की 400 वीं वर्षगांठ रही। गैलीलियो की वर्षगांठ को संयुक्त राष्ट्र ने ‘अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉमी वर्ष’ के रूप में मनाने का फैसला लिया।
चंद्रयान-प्रथम
इस वर्ष चंद्रयान-प्रथम का अभियान समाप्त हो गया। स्पेसक्राफ्ट 132 दिन ऑर्बटि में रहा। इस मिशन का निर्धारित जीनवकाल दो वर्ष का थे। दस महीनों तक इस स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा के 3,400 चक्कर लगाए। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-प्रथम ने 95 प्रतिशत वैज्ञानिक उद्देश्य प्राप्त कर लिए हैं। इसके बोर्ड में 11 पेलोड लगे हुए थे जिसमें से पांच का डिजाइन और विकास भारत में किया गया था। जुलाई तक स्पेसक्राफ्ट ने चांद की सतह की 70,000 से अधिक तस्वीरें भेजी। इस पूरे अभियान में 40 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
चांद पर पानी
चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण वैज्ञानिकों के हाथ लगे हैं। इसके मुताबिक वहां हाइड्रोजन और आक्सीजन की रासायनिक क्रियाएं हुई थीं। वैज्ञानिकों ने इसका यह निष्कर्ष निकाला है कि वहां पानी है। इसरो का कहना है कि अगर एडवांस टेक्नोलॉजी को अपनाया जाए तो चंद्रमा की सतह से पानी निकाला जा सकता है। 30 अगस्त को चंद्रयान का नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया है और चंद्रमिशन समय से पूर्व खत्म हो गया। लेकिन सिर्फ 10 महीने के कार्यकाल में यह अब तक की सबसे बड़ी वैज्ञानिक खोज को अंजाम देने में सफल रहा।  
सदी का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण
वर्ष 2009 में छह ग्रहण पड़े। दो सूर्य ग्रहण और चार चंद्रग्रहण। 2009 में पहला सूर्यग्रहण 26 जनवरी, 2009 को पड़ा। दूसरा सूर्य ग्रहण 22 जुलाई को पड़ा। पहला चंद्रग्रहण 9 फरवरी, दूसरा 7 जुलाई, तीसरा 6 अगस्त और चौथा 31 दिसंबर को पड़ा।
नया सर्च इंजन, बिंग
माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन बिंग को लांच करने की घोषणा कर दी है। इस इंजन को तीन जून को लांच किया गया। तीन जून से इसने विंडोज लाइव का स्थान ले लिया। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ स्टीव बामर ने कहा था कि बिंग लोगों को जल्द सूचना प्रदान करने के साथ इसे इस्तेमाल करने के तरीके के बारे में भी जानकारी देगा।
ट्विटर
इस वर्ष तकनीक की दुनिया में ट्विटर सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। ट्विटर एक सोशल नेटवर्किंग साइट है, जिसमें छोटे टेक्स्ट मैसेज पोस्ट किए जाते हैं, जिसे ट्वीट्स कहते हैं। इसकी संख्या 140 कैरेक्टर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। रियल टाइम डायरी एंट्री को दूसरे यूजर भी पढ़ सकते हैं, जिन्हें फॉलोअर कहा जाता है।
ड्रोन
ड्रोन इस साल सुर्खियों में रहा। आधुनिक युद्धकला में ड्रोन्स का इस्तेमाल आम होता जा रहा है। गौरतलब है कि तालिबान प्रमुख बैतुल्ला महसूद भी ड्रोन हमले में ही मारा गया। ऐसा माना जा रहा है कि बैतुल्ला पर हवाई हमला किया गया था, लेकिन इस हमले की ट्राजेक्टरी और लक्ष्यभेदी कारस्तानी हजारों मील दूर अमेरिकी मिलिट्री बेस से संचालित हो रही थी। अमेरिका खासतौर से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अल-कायदा और तालिबानी आतंकवादियों को खोजने और उन्हें समाप्त करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है।

बिग बैंग की मान्यता
इस वर्ष यूरोप में वैज्ञानिकों लार्ज हैडरॉन कोलाइडर प्रयोग किया था। इसके पीछे उनका मकसद ब्रह्मांड की उत्पत्ति का राज जानने का था। हमारी सारी भौतिक मान्यताएं बस एक घटना से परिभाषित होती हैं बिग बैंग। बिग बैंग एक जोरदार
धमाका है, जिससे ब्रह्मांड का जन्म हुआ था। बिग बैंग थ्योरी के अनुसार लगभग 12 से 14 अरब वर्ष पहले संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था। यह वह समय था जब मानवीय समय और स्थान जैसी कोई चीज अस्तित्व में नहीं थी। बिग बैंग मॉडल के अनुसार इस धमाके में इतनी अधिक ऊर्जा का उत्सर्जन हुआ जिसके प्रभाव से आज तक हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है।
भारतीय को नोबेल
रसायन विज्ञान का नोबेल भारतीय मूल के वेंकटरमण रामकृष्णन को मिला। उन्हें यह विज्ञान राइबोसोम के आकार और कार्यप्रणाली के लिए दिया गया। कैम्ब्रिज के शोधकर्ता रामकृष्णन ने अपनी जीत को विज्ञान के संयुक्त उपक्रम की जीत बताया। चीन का साइबर हमला कनाडा की इनफॉरमेशन वारफेयर मॉनिटर (आईडब्लयूएम) ने खोजा कि चीन ने पिछले हफ्ते 103 मुल्कों के 1295 कंप्यूटरों में वायरस भेजा था। मेलवेयर घोस्टरेट ने न केवल वायरस ग्रसित कंप्यूटर की टेक्सट फाइलों को देख सकता है, बल्कि यह कीस्ट्रोक को लॉग कर सकता है। हालांकि चीन ने साइबर हमले की बात को सिरे से नकारा है। यह वायरस महत्वपूर्ण जानकारियों को सर्वर कंप्यूटरों को वापस भेजता था। जानकारों का कहना है कि यह वायरस ईमेल और एग्जीक्यूटेबल डाक्यूमेंट, जेपीईजी और पीडीएफ फाइलों के द्वारा पहुंचे।


विस्टा की हार को जीत में बदलता विंडोज 7

माइक्रोसॉफ्ट ने इस साल अपना नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज 7 लांच किया। विंडोज 7 को विस्टा की नाकामी को दूर करने के लिहाज से बनाया गया है। विस्टा माइक्रोसॉफ्ट का अब तक का सबसे फ्लॉप प्रोडक्ट रहा है। कंपनी का दावा है कि विंडोज 7 तैयार करने में इतिहास के सबसे बड़े टेस्टिंग प्रोग्राम का सहारा लिया गया है। जानकार कहते हैं कि विस्टा की सबसे बड़ी खराबी यही है कि ये कई उत्पादों को चलाता नहीं है और मैमोरी की खपत ज्यादा करता है। विंडोज 7 में इन समस्याओं को दूर किया गया है। विंडोज 7 चलाने के लिए उपभोक्ता के पास 1 जीगाहर्ट्ज का प्रोसेसर और एक जीबी की मेमोरी की जरूरत पड़ेगी। कंपनी का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट के इतिहास का यह सबसे सरल और बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम है।


क्लोनिंग में भारत ने दिखाई मुस्तैदी 

भारत तेजी से क्लोनिंग युग में प्रवेश कर रहा है। हालांकि भारत ने क्लोनिंग विज्ञान में शुरुआत देर से की लेकिन भारत की तरक्की अन्य कई देशों के लिए आदर्श बन चुकी है। गौरतलब है कि अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे मुल्क इस विज्ञान में पहले ही तरक्की कर चुके हैं। हाल में भारत ने क्लोनिंग के क्षेत्र में मुस्तैदी दिखाई है और कई सफलताएं अर्जित की हैं। भारतीय वैज्ञानिकों ने भैंस की क्लोनिंग करने और ट्रांसजेनिक रोहुफिश बनाने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिक क्लोन पशमीना बकरी, अन्य दुधारू जानवर, खरगोश आदि बनाने में लगे हुए हैं।

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