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बीते बरस कामयाबी की राह पर लौटी महिला हॉकी

पिछले साल नाकामी की कहानी लिखने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम ने 2009 में पहला चैंपियंस चैलेंज टू जीतने के साथ एशिया कप में रजत पदक हासिल करके कामयाबी की नई बुलंदियों को छुआ, हालांकि एक बार फिर टीम साल...

बीते बरस कामयाबी की राह पर लौटी महिला हॉकी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 27 Dec 2009 12:47 PM
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पिछले साल नाकामी की कहानी लिखने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम ने 2009 में पहला चैंपियंस चैलेंज टू जीतने के साथ एशिया कप में रजत पदक हासिल करके कामयाबी की नई बुलंदियों को छुआ, हालांकि एक बार फिर टीम साल भर अंतरराष्ट्रीय मैचों के अभाव से जूझती रही।

सुरिंदर कौर की अगुवाई वाली महिला हॉकी टीम के नाम सबसे बड़ी उपलब्धि रूस के कजान में खेले गए पहले चैंपियंस चैलेंज टू टूर्नामेंट में खिताबी जीत रही। आठ देशों के इस टूर्नामेंट को जीतकर भारत ने दक्षिण-अफ्रीका में अगले साल होने वाले चैंपियंस चैलेंज वन टूर्नामेंट में जगह पक्की की, जिससे उसे चैंपियंस ट्रॉफी खेलने का मौका मिल सकता है।

इस टूर्नामेंट में सुरिंदर को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी और इस साल भारतीय महिला हॉकी की वंडर गर्ल रही रानी रामफल को सबसे युवा खिलाड़ी और सबसे ज्यादा स्कोर करने वाली खिलाड़ी का पुरस्कार मिला। फाइनल में बेल्जियम के खिलाफ 6-3 से जीते मैच में रानी ने चार गोल दागे थे।

भारतीय टीम ने इसी साल 11 देशों के एशिया कप फाइनल में जगह बनाकर अगस्त 2010 में अर्जेंटीना के रोजारियो में होने वाले विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया। बैंकाक में अक्टूबर में खेले गए एशिया कप के  फाइनल में चीन ने उसे 5-3 से हराया, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में कोच एमके कौशिक की टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।

पिछले साल बीजिंग ओलंपिक में जगह नहीं बना सकी भारतीय टीम ने सत्र की शुरूआत जनवरी में दक्षिण अमेरिकी देशों के दौरे से की। चिली के खिलाफ चार टेस्ट की सीरीज भारत ने 3-0 से जीती जबकि अर्जेंटीना से तीन टेस्ट की सीरीज 1-1 से ड्रॉ करावाई।

इसके बाद टीम देश में ही अभ्यास शिविरों में मेहनत करती रही और अगले छह महीने तक उसे कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नसीब नहीं हुआ। कोच कौशिक ने भी स्वीकार किया कि अंतरराष्ट्रीय मैचों का अभाव अगले साल दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में बाधा बन सकता है। इसका असर जून में डरबन में खेले गए चार देशों के टूर्नामेंट में देखने को मिला, जिसमें भारतीय टीम सारे मैच हारकर चौथे स्थान पर रही। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-अफ्रीका ने उसे मात दी।

इसके बाद एशिया कप में हालांकि टीम ने अपेक्षाओं पर खरे उतरते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया। अभावों में पलकर हॉकी का ककहरा सीखने वाली हरियाणा की रानी रामफल इस साल भारतीय महिला हॉकी की वंडर गर्ल रही, जिसने हर टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया।

अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के निर्देशों के तहत पुरूष और महिला हॉकी की एकीकृत ईकाई हॉकी इंडिया का गठन भी इस साल की बड़ी घटना रही। इसके तहत अब महिला और पुरूष हॉकी लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए हॉकी इंडिया के तहत आएंगे, जिसके चुनाव जनवरी में होने हैं।

भारतीय जूनियर महिला टीम अगस्त में खेले गए 16 देशों के जूनियर विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद नौवें स्थान पर रही। इस साल बमुश्किल दो दर्जन अंतरराष्ट्रीय मैच खेल सकी भारतीय टीम को अगले साल अगस्त में विश्व कप खेलना है जबकि अक्टूबर में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल होने हैं। विश्व कप से पहले भारतीय टीम का कोई विदेश दौरा या टूर्नामेंट प्रस्तावित नहीं है। मैड्रिड में पिछले विश्व कप में भारतीय महिला टीम शर्मनाक प्रदर्शन करके 11वें स्थान पर रही थी, लेकिन इस बार उससे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

इसके अलावा राष्ट्रमंडल खेलों में टीम स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदारों में होगी। मैनचेस्टर में 2002 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय टीम ने पहला स्थान हासिल किया था जबकि चार साल बाद मेलबर्न में रजत पदक जीता था।

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