झारखंड में किसी तरह बची लालू की लाज
विधानसभा चुनाव परिणाम ने राजद को भारी झटका दिया है। झारखंड की जनता ने जीती सात सीटों में पांच पर विजय दिलाकर किसी तरह लालू की लाज बचाए रखी। उनका पुराना एमवाइ समीकरण भी यहां तार तार हो गया। बढ़ती...
विधानसभा चुनाव परिणाम ने राजद को भारी झटका दिया है। झारखंड की जनता ने जीती सात सीटों में पांच पर विजय दिलाकर किसी तरह लालू की लाज बचाए रखी। उनका पुराना एमवाइ समीकरण भी यहां तार तार हो गया। बढ़ती महंगाई का उनका चुनावी मुद्दा भी काम नही आ सका।
लालू प्रसाद झारखंड में लगातार बीस दिनों तक रहकर हेलीकॉप्टर से दौरा कर लगभग 200 से अधिक सभाएं की। पैर में मोच के बावजदू भी वे चुनावी सभाएं करते रहे। इसके वाबजूद उनकी पार्टी ने 2005 में जीती सात सीटों में चार सीटें हार गयी। पार्टी के दमदार नेता गिरिनाथ सिंह गढ़वा से चुनाव हार गए।
इसी तरह विश्रमपुर से पूर्व मंत्री रामचन्द्र सिंह चन्द्रवंशी, मनिका से रामचन्द्र सिंह, लातेहार से प्रकाश राम, पांकी से रंजन यादव चुनाव हार गए। पार्टी ने पांकी से अपने सीटिंग उम्मीदवार विदेश सिंह का पत्ता काटकर लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र से बढ़त हासिल करनेवाले केश्वर यादव उर्फ रंजन यादव को टिकट दिया था लेकिन यहां से पासा पलट गया। निर्दलीय चुनाव लड़नेवाले विदेश सिंह ने राजद उम्मीदवार रंजन यावव को शिकस्त दे दी।
पिछले चुनाव में पलामू राजद का गढ़ साबित हुआ था। इस चुनाव में उसका यह गढ़ ढह गया। पलामू की पांच विधानसभा सीटों में चार सीटें राजद हार गयी । सिर्फ हुसैनाबाद सीट ही वह जीत सकी। पिछले चुनाव में राजद के संजय सिंह यादव मात्र 56 वोट से पूर्व मंत्री कमलेश सिंह से चुनाव हारे थे। कोडरमा से राजद विधायक दल के नेता अन्नपूर्णा देवी कड़े मुकाबले में किसी तरह अपनी प्रतिष्ठा बचाने मे सफल रही।
पार्टी ने पिछले चुनाव में हारी हुई हुसैनाबाद ,गोड्डा, चतरा एवं देवघर की सीट जीतने में सफल रही। लालू प्रसाद ने झारखंड में लोजपा , भाकपा एवं माकपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था ,लेकन इस गठबंधन के किसी अन्य दल का खाता तक नहीं खुल सका।
लालू प्रसाद झारखंड के प्रथम चरण से लेकर पांचों चरण के चुनाव को काफी गंभीरता से लिया और वह चुनाव प्रचार के लिए रांची में लंबे समय तक खूंटा गाड़कर रहे।