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राहुल ने ली अलग बुन्देलखण्ड की माँग की थाह

बुन्देलखण्ड के दौरे पर आए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने सोमवार को अगर यहाँ राजीव गांधी महिला परियोजना के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से मुलाकात को तवज्जो देकर सियासत को किनारे रखा था तो मंगलवार...

राहुल ने ली अलग बुन्देलखण्ड की माँग की थाह
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 22 Dec 2009 09:36 PM
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बुन्देलखण्ड के दौरे पर आए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने सोमवार को अगर यहाँ राजीव गांधी महिला परियोजना के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से मुलाकात को तवज्जो देकर सियासत को किनारे रखा था तो मंगलवार को बारी सियासत की थी।

कांग्रेस के मिशन 2012 के तहत बुन्देलखण्ड अभियान में जुटे श्री  गांधी ने मंगलवार को अमेठी रवाना होने से पहले तड़के ही बबीना छावनी स्थित फायरिंग रेंज की हवाई पट्टी  पर उन्हें विदाई देने पहुँचे केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन ‘आदित्य’ और कांग्रेस के जिला व शहर अध्यक्षों से अलग बुन्देलखण्ड राज्य जैसे सियासी मुद्दों पर चर्चा की।

वे चुनिंदा सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी मिले। उनसे कहा कि महिलाओं के बाद युवाओं को मिशन बुन्देलखण्ड से जोड़ने की जरूरत है। राहुल अपना इरादा साफ कर गए कि मिशन बुन्देलखण्ड जारी रहेगा।

राहुल गांधी सोमवार की शाम जब स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से मिलने घिसौली पहुँचे थे तो वहाँ बुन्देलखण्ड मुक्ति मोर्चा के लोगों ने अलग बुन्देलखण्ड राज्य से संबंधित ज्ञापन देने की कोशिश की थी।

हालाँकि वे कांग्रेस महासचिव से मिल नहीं सके थे। एसडीएम को ज्ञापन देकर ही संतोष करना पड़ा था। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुधांशु त्रिपाठी ने उनका यह ज्ञापन आज राहुल गांधी को दिया। खुद श्री त्रिपाठी ने इसकी पुष्टि की है।

जानकार सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने अलग बुन्देलखण्ड राज्य की जोर पकड़ती माँग पर पार्टी नेताओं का फीड बैक लिया।  नेताओं ने उन्हें बुन्देलखण्ड की कुछ दूसरी ज्वलन्त समस्याएँ भी बताईं। कांग्रेस नेताओं से इतर उन्होंने महिला परियोजना का काम देख रहे लोगों से भी स्वयं सहायता समूह  खासतौर से महिलाओं की तर्ज पर युवाओं को जोड़ने की योजना बनाने के लिए कहा।

राहुल गांधी के दौरे का ज्यादातर वक्त बबीना ब्लाक के पिछड़े गाँवों में बीता। जहाँ रायबरेली-अमेठी की तर्ज पर स्वयं सहायता समूह बनाने का काम पिछले करीब एक साल से चल रहा है। एक-एक गाँव में 20 से 22 स्वयं सहायता समूह हैं। एक समूह में 10 से 15 महिलाएँ सदस्य है। इस तरह हर गाँव के लगभग प्रत्येक परिवार का एक सदस्य समूह का सदस्य बन चुका है। 

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