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एक गुजारिश और है सरकार

उत्तराखंड राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री ने पर्यावरण को बचाने को एक अनूठी पहल शुरू की है। अब वह राज्य में आने वाले प्रत्येक वीआईपी अतिथियों को स्मृति चिह्न् के स्वरूप पौधे भेंट करेंगे। ये पौधे राज्य...

एक गुजारिश और है सरकार
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 21 Dec 2009 10:45 PM
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उत्तराखंड राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री ने पर्यावरण को बचाने को एक अनूठी पहल शुरू की है। अब वह राज्य में आने वाले प्रत्येक वीआईपी अतिथियों को स्मृति चिह्न् के स्वरूप पौधे भेंट करेंगे। ये पौधे राज्य में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों के होंगे। सुदूर स्थानों में जाकर ये पौधे आपके संदेश के प्रतीक वृक्ष बनकर लहराएंगे। इस पहल की कड़ी में एक गुजारिश और है सरकार कि अपने पूरे राज्य में नहीं तो कम से कम राजधानी देहरादून में हरे वृक्ष काटने पर प्रतिबंध लगवा दीजिए।
पंकज भार्गव, मास कॉम, देहरादून

विकास हित में छोटे राज्य
भारत में छोटे राज्यों की मांग स्वतंत्रता के पश्चात ही शुरू हो गई थी। इस कारण 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया। आन्ध्र प्रदेश बनने के साथ नये राज्य बनने का क्रम शुरू हो गया था। 1956 में 14 राज्य एवं 6 केन्द्र शासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर अब 28 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेश हो गई है। केन्द्र सरकार ने तेलंगाना राज्य के गठन का आश्वासन दे दिया है। मुख्यमंत्री मायावती ने बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं पूर्वाचल को अलग राज्य बनाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। गोरखालैंड, विधर्व, हरित प्रदेश, सौराष्ट्र, कुर्ग आदि की मांगें काफी समय से उठ रही हैं, जो कि अब और तेज होगी। इसीलिए सभी मांगों पर विचार करने के लिए केन्द्र सरकार को राज्य पुनर्गठन आयोग की घोषणा शीघ्र करनी चाहिए। छोटे राज्य में विकास तीव्र गति से होता है। पंजाब से अलग हुए हिमाचल और हरियाणा प्रदेश इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। उत्तराखंड बनने के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। 10 वर्ष पूर्व का देहरादून अब नया दिखाई देता है। अमेरिका में 50 राज्य हैं, जबकि उसकी आबादी करीब 31 करोड़ है। हमारे कुछ प्रदेश इतने विशाल है कि महाराष्ट्र में यूरोप के 17 और उत्तर प्रदेश में यूरोप के 15 देश समा सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी छोटे राज्यों की हिमायत की है।
चम्पत राय जैन, देहरादून

जनसंख्या रोकने को कानून बने
जिस गति से भारत की जनसंख्या बढ़ रही है, लगता है कि हम चीन से भी आगे निकल जाएंगे। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी की समस्या का कारण जनसंख्या है, क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्यान्न एवं संसाधन सीमित हैं। भारत को यदि विश्व का समृद्ध देश बनाना है, तो सरकार जनसंख्या रोकने के लिए कड़ा कानून बनाए। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए। चीन ने जिस प्रकार से जनसंख्या पर कुछ हद तक लगाम लगायी है, भारत सरकार को उससे सबक लेना चाहिए। यदि इसी तरह जनसंख्या बढ़ती रही तो आने वाले वर्षों में देश में स्थिति विकट हो जाएगी, अत: सरकार को जल्द से जल्द कुछ कदम अवश्य उठाने चाहिए।
आशु पंवार, मॉसकाम, देहरादून

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