जीडीए-फोरेस्ट में खींची तलवार
हिंडन कट कैनाल रोड निर्माण को लेकर वन विभाग व जीडीए में ठन गई है। इस कारण वसुंधरा से यूपी बॉर्डर तक कैनाल की पटरी पर बनने वाली रोड पर ग्रहण लग गया है। वन विभाग के मौजूदा अधिकारी इस बात पर अड़े हैं कि...
हिंडन कट कैनाल रोड निर्माण को लेकर वन विभाग व जीडीए में ठन गई है। इस कारण वसुंधरा से यूपी बॉर्डर तक कैनाल की पटरी पर बनने वाली रोड पर ग्रहण लग गया है। वन विभाग के मौजूदा अधिकारी इस बात पर अड़े हैं कि पूर्व में पेड़ों का काटने की अनुमति ही गलत दी गई। इसके लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रलय दिल्ली के अफसरों से अनुमति की जरूरत है। मौजूदा डीएफओ ने कैनाल की दायीं पटरी पर लगे पेड़ों को जहां संरक्षित,आरक्षित वन क्षेत्र बताया वहीं पूर्व में अपने विभाग से जारी अनुमति पत्र को गलत ठहराया। इस संबंध में उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है। उस अनुमति के आधार पर ही सैंकडों लगे हरे पेड़ों को काटा गया। इस पत्र के बाद खुद उनका विभाग कटघरे में आ गया है।
डीएफओ यशपाल सिंह मलिक की आपत्ति के बाद ही जीडीए को वसुंधरा क्षेत्र में हिंडन तट कैनाल रोड के निर्माण कार्य को रोकना पड़ा। वैसे पर्यावरण सचेतक दल की ओर से पेड़ों की कटाई को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया। कोर्ट में तारीख लगी है। डीएफओ मलिक ने बताया कि हिंडन कैनाल की दायीं पटरी पर रोड बनाने से लगभग चार हजार सात सौ पेड़ों की बलि देनी पड़ेगी। एक हजार से ऊपर पेड़ काटे भी जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि यह इलाका आरक्षित वन क्षेत्र है,सो, पेड़ों की कटाई की अनुमति केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय से लेनी जरूरी है। लेकिन पूर्व के अधिकारी द्वारा नियम की अनदेखी की गई। मलिक ने बताया कि पूर्व में गलत अनुमति दिए जाने के संबंध में वन संरक्षक,मेरठ को पत्र लिखा गया है। इस पत्र के बाद संभव है,पूर्व में यहां तैनात कुछ अफसरों पर गाज भी गिरे। क्योंकि जीडीए के पास वन विभाग से जारी सहमति पत्र भी है।
बता दें कि हिंडन कैनाल की बायीं ओर सड़क निर्माण लगभग पूरा हो चुका है,उसके बाद ही पहले चरण में दायीं पटरी पर भी कनावनी पुलिया तक रोड निर्माण बनाने का निर्णय लिया गया। सिंचाई विभाग की स्वामित्व वाली इस जमीन पर मिट्टी भराव का आधे से ज्यादा काम किया जा चुका है। जीडीए का मानना है कि इस रोड के बनने से यूपी बार्डर तक ट्रैफिक स्मूथ चलेगा।