आर्थिक वृद्धि दर इस साल 7.75 फीसदी रहेगी: सरकार
पिछली तिमाही के बेहतरीन प्रदर्शन से उत्साहित सरकार ने शुक्रवार को प्रस्तुत एक आर्थिक समीक्षा रपट में कहा कि वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के दौरान 7. 75 फीसदी को पार कर सकती है लेकिन रपट में आवश्यक खाद्य...
पिछली तिमाही के बेहतरीन प्रदर्शन से उत्साहित सरकार ने शुक्रवार को प्रस्तुत एक आर्थिक समीक्षा रपट में कहा कि वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के दौरान 7. 75 फीसदी को पार कर सकती है लेकिन रपट में आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी के मद्देनजर चिंता जाहिर की गयी है। चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की मध्यावधि समीक्षा में सरकार ने कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2009-10 में 7.75 फीसदी के अनुमान को पार कर सकती है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने संसद में यह रपट पेश की।
वैश्विक वित्तीय संकट से प्रभावित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 2008-09 में नौ फीसदी से फिसल कर 6.7 फीसदी पर पहुंच गई। जुलाई में आर्थिक समीक्षा में सरकार ने वित्त वर्ष के दौरान सात फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान जाहिर किया था। उस समय कहा गया था कि वृद्धि दर इससे 0.75 फीसदी कम या ज्यादा भी हो सकती है। दरअसल दूसरी तिमाही (जुलाई सितंबर 09) में विश्लेषकों के सारे अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए अर्थव्यवस्था ने 7.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
इधर समीक्षा में खाने की चीजों की कीमतों में तेजी पर चिंता भी जाहिर की गई जो दशक भर के उच्चतम स्तर 20 फीसदी के करीब पहुंच गई। इसके कारण बढ़ती मुद्रास्फीति से मुकाबले के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत का जिक्र किया गया।
मुख्य तौर पर आलू, अन्य सब्जियों और दालों की कीमतों में तेजी के मद्देनजर खाद्य मुद्रास्फीति दिसंबर के पहले सप्ताह में बढ़कर 19.95 फीसदी हो गई। अन्य आवश्यक उत्पादों के बीच चीनी की कमी के बीच इसकी कीमता बढ़ती रही।
समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया कि आम आदमी के उपभोग की वस्तुओं की कीमत में हाल में हो रही बढ़ोत्तरी सचमुच चिंता का विषय है और इससे तुरंत निपटना चाहिए। समीक्षा में यह भी कहा गया कि जब तक आर्थिक हालात में सतत सुधार नहीं होता तब तक वित्तीय संकट से निपटने के लिए उद्योग को दिए गए प्रोत्साहन पैकेज को न सरकार और न ही रिजर्व बैंक को वापस लेना चाहिए।