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बीपीएससी की पीटी परिणाम रद्द करने पर रोक

पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग को बड़ी राहत देते 48वीं से 52वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम को रद्द करने संबंधी एकल पीठ के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी। अदालत ने सभी...

 बीपीएससी की पीटी परिणाम रद्द करने पर रोक
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग को बड़ी राहत देते 48वीं से 52वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम को रद्द करने संबंधी एकल पीठ के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी। अदालत ने सभी याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर जवाब देने का निर्देश भी दिया। 30 जनवरी को न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की एकल पीठ ने आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाते पीटी परीक्षा का परिणाम रद्द कर दिया था। खंडपीठ ने आयोग को नये सिर से परीक्षा आयोजित करने का आदेश भी दिया था। करीब पौने दो लाख छात्रों ने पीटी में भाग लिया था।ड्ढr ड्ढr पिछले वर्ष सितंबर में आयोग ने परिणाम निकाला जिसमें 1हाार 3 सौ 18 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ बीपीएससी ने अपील दायर कर उसकी वैधता को चुनौती दी थी। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चन्द्रमौली कुमार प्रसाद तथा न्यायमूर्ति किशोर कुमार मंडल की खंडपीठ ने बीपीएससी की ओर से दायर अपील पर सुनवाई के बाद एकल पीठ के फैसले पर रोक लगा दी।ड्ढr ड्ढr आयोग ने विभिन्न पदों पर नियुक्ित के लिए विज्ञापन 407 को प्रकाशित किया था। पूर्व में असफल उम्मीदवारों ने परिणाम से नाखुश होकर आधा दर्जन रिट याचिकाएं दायर कर परिणाम की वैधता को चुनौती दी थी। असफल छात्रोें का आरोप है कि आयोग ने परीक्षा में एकरूपता नहीं बरती, जहां कुछ छात्रों को 150 प्रश्नों के उत्तर देने क ो कहा गया वहीं कुछ से केवल 140 प्रश्न ही पूछे गए। इसके अलावा कई अन्य अनियमितताएं भी उाागर हुई। परीक्षार्थियों का आरोप है कि बीपीएससी परीक्षा के संचालन को लेकर बेहद गैर जिम्मेदाराना रुख अख्तियार करता है। ऐसी गलतियां अक्षम्य है। शुक्रवार को आयोग की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने बताया कि जानबूझकर किसी प्रकार की गलती नहीं की गई है। इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा का आयोजन किए जाने पर छोटी-मोटी गलती होने के कारण परिणाम रद्द करना न्यायोचित नहीं है।ड्ढr ड्ढr उनका कहना था कि आयोग को जसे ही गलती का अहसास हुआ उसे दूर कर 134 अन्य उम्मीदवारों को सफल घोषित कर दिया था। अदालत ने शाही की दलील को मंजूर करते एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाने के साथ ही अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। परीक्षार्थियों का भविष्य कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा।

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