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मोदीनगर में चर्बी से घी बनाने वाली भट्टियां पकड़ीं

गुनाह - रेलवे स्टेशन, बस स्टैडों के होटलों में प्रयोग होता था चर्बीयुक्त घी - दिल्ली, मेरठ व गाजियाबाद समेत कई बड़ों शहरों में थी सप्लाई गोरखधंधा - चौपुला के पास पकड़ी थी नकली घी की फैक्ट्री -...

मोदीनगर में चर्बी से घी बनाने वाली भट्टियां पकड़ीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 15 Dec 2009 11:17 PM
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गुनाह

- रेलवे स्टेशन, बस स्टैडों के होटलों में प्रयोग होता था चर्बीयुक्त घी
- दिल्ली, मेरठ व गाजियाबाद समेत कई बड़ों शहरों में थी सप्लाई

गोरखधंधा

- चौपुला के पास पकड़ी थी नकली घी की फैक्ट्री
- लोनी इलाके में चर्बी से घी तैयार होते पकड़ा गया
- हापुड़ में तो कई बार सामने आ चुके है ऐसे मामले

कैसा कानून

- गुनहगारों पर नहीं हो रही है प्रभावी कार्रवाई
- पुलिस-प्रशासन स्तर से हो रही है लापरवाही
- असली गुनहगारों को नहीं मिल रही है सजा

 

भोजपुर थानान्तर्गत गांव त्यौड़ी तेरह बिस्वा के जंगलों में पशुओं की चर्बी से देशी घी बनाने वाली दजर्नभर भट्टियों पर छापा मारकर पुलिस ने एक ट्रक चर्बीयुक्त देशी घी, सात टन चर्बी बरामद की है। इस मामले में घी बनाने वाले एक सरगना समेत नौ लोगों को गिरफतार किया गया है। बताया गया है कि यह चर्बीयुक्त घी रेलवे स्टेशनों पर बने जनता भोजनायलों के साथ-साथ बड़े-बड़े होटलों में 25रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता था। पुलिस के मुताबिक मिलावट खोरों के विरूद्ध यह जिले की सबसे बड़ी कामयाबी है।


पुलिस क्षेत्रधिकारी कपिल देव सिंह ने सूचना के आधार पर गांव त्यौड़ी के जंगलों में बड़े पैमाने पर चर्बी से देशी घी बनाने वाली भट्टियों पर छापा मारा।


मंगलवार सुबह सात बजे सीओ ने अपने हमराहियों के साथ त्यौड़ी के जंगलों में छापा मार कार्रवाई को अंजाम दिया। जिसपर वहां भगदड़ मच गई। पुलिस ने घी बनाने वाले एक सरगना समेत नौ कारगीरों को गिरफतार किया। मौके से पुलिस को एक ट्रक भरा तैयार चर्बीयुक्त देशी घी, सात टन चर्बी व घी बनाने का कच्चा माल बरामद हुआ। तथा जंगलों में तीन स्थानों पर बनी तेरह भट्टियों को तोड़ा गया। गिरफतार लोगों में इस धन्धे का सरगना धौलड़ी थाना जानी मेरठ निवासी सलीम पुत्र इस्लाम समेत कलीमुल्ला, शमशाद, नाजिर, जुम्मन, आसमोहम्मद, नकुमुल्ला व शकील सभी बिहार निवासी है। सीओ के मुताबिक यहां तैयार होने वाला चबीयुक्त घी ट्रकों द्वारा दिल्ली, मेरठ, गाजियाबाद व अलीगढ़ में बने रेलवे स्टेशनों व उनके बाहर बने जनता भोजनालयों पर सप्लाई होता था। इतना ही नहीं कई महानगरों के बड़े-बड़े होटलों पर भी इस घी की सप्लाई थी। सीओ के मुताबिक इन लोगों को रोजाना के एक भट्टी से तीस हजार रुपये की बचत थी। गिरफतार लोगों के पास से डायरी जिनमें सप्लायरों के बारे में लिखा है तथा कुछ चर्बी खरीदने व बेचने की पर्चियां भी बरामद ह़ुई है। जिनके आधार पर कार्रवाई की जा रही है। शीघ्र बड़े सप्लायरों को पकड़ा जायेगा। फिलहाल भोजपुर थाने में फूड़ निरीक्षक की ओर रिपोर्ट दर्ज कराई गई हैं।

इस प्रकार बनाया जाता था चर्बीयुक्त घी पुलिस क्षेत्रधिकारी कपिल देव सिंह के अनुसार ये लोग घी बनाने के लिए अलीगढ़, हापुड व मेरठ से स्लाटर हाऊसों से चर्बी लाते थे। बाद में बड़ी-बड़ी भट्टियों पर उसे पकाया जाता था और जैसे-जैसे चर्बी गर्म होती जाती थी उसमें से जो चिकनाई निकलनी शुरू हो जाती थी जिसका घी बनाया जाता था। इतना ही नहीं चर्बी से निकलने वाली हड्डी का पाउडर कर उसे बेचा जाता था जिसकी जांच की जा रही है। सीओ ने बताया कि भट्टियों के पास ही सीमेंट की नालिया बनी थी जो पास से गुजरने वाले नाले से मिली हुई है। जिनमें खराब चर्बी को बहा दिया जाता था। मंजे की बात यह है कि इस घी में यह लोग ऐसा कैमिकल मिलाते थे जिससे घी की महक शुद्ध देशी घी जैसी ही होती थी। यह लोग घी तैयार होने के बाद बड़े-बड़े ट्रमों में भरकर ट्रक द्वारा सप्लाई करते थे और मात्र 25रुपये किलों में दुकानदारों को बेचते थे।

कार्रवाई को लेकर सीओ व एसडीएम आमने-सामने
सुबह सात बजे से चर्बी युक्त घी बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई में जुटे सीओ कपिल देव सिंह द्वारा एसडीएम सोमदत्त मौर्य से इस मामले में सहयोग मांगने पर दोनों अधिकारियों में तनातनी हो गई। दरअसल सीओ ने फोन द्वारा एसडीएम से मौके पर फूड निरीक्षक टीम को भेजने का अनुरोध किया था। लेकिन एसडीएम द्वारा असहयोग रवैया व  लापरवाही बरतने के कारण सीओ ने तुरन्त इस बाबत महकमें के उच्चाधिकारियों से शिकायत की। उच्चाधिकारियों की लताड़ लगने के बाद एसडीएम हरकत में आए और करीब चार घंटे बाद स्थानीय फूड निरीक्षक टीम के साथ मौके पर पहुंचे।  बतातें चलें कि त्यौड़ी गांव मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। पकड़े गए व्यक्ति भी इसी वर्ग से थे जिसकारण किसी भी वक्त बड़ी घटना घटने से इंकार नहीं किया जा सकता था इससे पहले भी कई बार दबिशों के दौरान पुलिस को गांव वालों का विरोध झेलना पड़ा हैं।

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