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तिगुनी हुई महंगाई, आरबीआई ने कसी कमर

आलू, चीनी और दाल जैसे खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत के कारण नवंबर में मुद्रास्फीति तिगुनी होकर 4.78 फीसदी हो गई और इसकी वजह से कीमत पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक धन की आपूर्ति कम कर सकता है। सोमवार...

तिगुनी हुई महंगाई, आरबीआई ने कसी कमर
एजेंसीMon, 14 Dec 2009 06:17 PM
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आलू, चीनी और दाल जैसे खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत के कारण नवंबर में मुद्रास्फीति तिगुनी होकर 4.78 फीसदी हो गई और इसकी वजह से कीमत पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक धन की आपूर्ति कम कर सकता है। सोमवार को जारी मुद्रास्फीति के मासिक आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य कीमत पर आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर पांच फीसदी के करीब पहुंच गई जो अक्टूबर में 1.34 फीसदी थी।   

कीमतों में बढ़ोत्तरी के लिए आपूर्ति की दिक्कतों को जिम्मेदार ठहराते हुए अर्थशास्त्री सुरेश तेंदुलकर ने कहा कि आरबीआई बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए तरलता वापस लेने की कोशिश करेगा। आरबीआई अगले महीने में सालाना ऋण नीति की समीक्षा करने वाला है। इससे पहले जारी खाद्य मुद्रास्फीति के साप्ताहिक आंकड़े नवंबर के दौरान तेजी से बढ़कर 19.04 फीसदी हो गए जो पूरे दशक की सबसे तेज बढ़ोत्तरी रही। सरकार द्वारा दूसरी बार जारी मासिक आंकड़ों से स्पष्ट है कि आलू की कीमत में पिछले आठ महीनों में 141 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई, चीनी 37 फीसदी महंगी हुई जबकि दाल की कीमत 37 फीसदी और प्याज की कीमत 20 फीसदी बढ़ी।  

इधर खनिज, खाद्य तेल और चमड़ा मार्च 2009 के बाद से सस्ते हुए हैं। आरबीआई ने अक्टूबर में अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था जबकि इससे पहले केंद्रीय बैंक ने अनुमान जाहिर किया था कि मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति पांच फीसदी रहेगी।

तेंदुलकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है इसलिए घरेलू कीमतों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार को आपूर्ति की कमी से निपटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आरबीआई एसएलआर (सांविधिक तरलता अनुपात) के लिहाज से नकदी वापस ले सकती है लेकिन मुझे नहीं लगता कि दरों में कोई बदलाव किया जाएगा। अगली तिमाही समीक्षा (जनवरी) तक तो नहीं।
  
केंद्रीय बैंक उद्योग के लिए धन की आपूर्ति बढ़ा रहा है ताकि वैश्विक वित्तीय संकट से निपटा जा सके। बढ़ती कीमत सरकार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि कांग्रेस अयक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि इस सप्ताह के दौरान आवश्यक जिंसों की कीमतों में तेजी हमारे लिए सबसे अधिक चिंता का विषय है। विनिर्मित उत्पादों में कपड़े की कीमत 1.4 फीसदी बढ़ी, जबकि कागज और कागज के उत्पादों की कीमत 0.1 फीसदी बढ़ी। इधर रसायन और रासायनिक उत्पाद 0.1 फीसदी महंगे हुए।
  
यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव ने कहा कि मुद्रास्फीति में बढ़ोत्तरी पर आरबीआई की नजर रहेगी  दिसंबर में 0.25 से आधा फीसदी सीआरआर बढ़ाया जा सकता है। इधर, वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने नवंबर में मुद्रास्फीति के बढ़ने के लिए खाद्य उत्पादों की कीमतों में आई तेजी को जिम्मेदार ठहराया है।
  
मुखर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि मुद्रास्फीति में बढो़त्तरी मुख्यत: खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढो़तरी के कारण हुई है। सरकार के मासिक आंकड़ों के अनुसार आलू, चीनी और दाल जैसे खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत के कारण नवंबर में मुद्रास्फीति तिगुनी होकर 4.78 फीसदी हो गई।
  
मुखर्जी ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में खाद्य उत्पादों का हिस्सा अधिक है इसलिए थोक मूल्य सूचकांक के बजाय ज्यादा बढोतरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में हुई है। दोनों सूचकांकों में अंतर की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि सीपीआई में खाद्य उत्पादों का हिस्सा 43-49 फीसदी है।

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