फोटो गैलरी

Hindi Newsविदा होने को है होमलोन ब्याज वसूली में भेदभाव

विदा होने को है होमलोन ब्याज वसूली में भेदभाव

इस मरहम के लिए आपको भारतीय रिजर्व बैंक को शुक्रिया कहना होगा। उसी की पहल के बाद इस हफ्ते इंडियन बैंक एसोसिएशन ने फैसला किया है कि नए लोन लेने वाले कस्टमरों से पुराने लोन कस्टमरों के मुकाबले कम ब्याज...

विदा होने को है होमलोन ब्याज वसूली में भेदभाव
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 13 Dec 2009 01:02 AM
ऐप पर पढ़ें

इस मरहम के लिए आपको भारतीय रिजर्व बैंक को शुक्रिया कहना होगा। उसी की पहल के बाद इस हफ्ते इंडियन बैंक एसोसिएशन ने फैसला किया है कि नए लोन लेने वाले कस्टमरों से पुराने लोन कस्टमरों के मुकाबले कम ब्याज वसूलने की बदनाम प्रैक्टिस रोकी जाएगी। अब जब भी यह फैसला लागू होगा, एक आम आदमी अपनी सालाना ब्याज अदायगी में हजारों रुपये की बचत कर सकेगा। 

जिस मुल्क में मांग के मुकाबले ढाई करोड़ मकानों की कमी  चल रही हो और जहां कुल मकान कर्जों में से 60 फीसदी कमर्शियल बैंकों से ही लिए जाते हों, वहां इस फैसले की अहमियत दोहराने की जरुरत नहीं। लेकिन भेदभाव की समस्या है क्या और सिस्टम अब कैसे बदलेगा, यह जानना जरुरी है। आइए इसे कदम दर कदम समझों: 
फिलहाल क्या हालत है : अभी तो अंधेरगर्दी वाला आलम है। एक ही बैंक छत्तीस किस्म की दरें अपने लोनधारकों से वसूल रहा है और कोई कुछ नहीं कर सकता। छोटा लोन लेने वाला ज्यादा ब्याज चुकाता है और बड़े लोन वाला कम। पुराना लोनधारक साढ़े नौ फीसदी ब्याज चुकाता रहता है और उसी की आंखों के सामने उसका बैंक नए लोनधारकों के आगे सवा आठ फीसदी की गाजर लटकाता है।

क्यों है ऐसी हालत : बैंक अपनी ब्याज दरें बीपीएलआर (बेंचमार्क प्राइम लैंडिंग रेट) नाम के उस सिस्टम के आधार पर तय करते हैं जिसमें अब सौ छेद हो चुके हैं। बीपीएलआर वह न्यूनतम दर है जो कजर्दारों की सबसे भरोसेमंद श्रेणी से वसूली जाती है। वर्ष 2002 में रिजर्व बैंक ने नियम बनाया कि कोई बैंक चाहे तो दो लाख से अधिक के कर्ज पर किसी कजर्दार से बीपीएलआर से नीचे दर पर भी ब्याज वसूल सकता है। बाद में कंपीटीशन की ऐसी आग भड़की कि ज्यादातर बैंक अपने लगभग दो तिहाई लोन पर बीपीएलआर से कम ब्याज वसूलने लगे। कहीं पारदर्शिता ही नहीं बची। घोषित बीपीएलआर दर 15 फीसदी होती थी लेकिन लोन लेने वालों को 9 फीसदी तक पेशकश कर दी जाती थी। इससे लोनधारकों में एक-दूसरे को देखकर असंतोष बढ़ने लगा। एक दिक्कत और थी। सरकारी ऐलान के बाद बैंक कहने को बीपीएलआर घटा तो देते थे लेकिन चूंकि ज्यादातर कस्टमरों से वे पहले से ही बीपीएलआर से निचली दर पर ब्याज वसूल रहे होते थे, कटौती का फायदा नीचे पहुंचता नहीं दिखता था। बीपीएलआर का कैलकुलेशन करते वक्त भी बैंक मनमर्जी से अपने फंसे हुए कर्जों की ब्याज लागत भी उसमें शामिल कर लेते थे जो गलत है।

आरबीआई ने क्या किया: हजारों शिकायतें मिलने के बाद रिजर्व बैंक के एक पैनल ने पिछले अक्टूबर में सिफारिश की कि इस अराजक माहौल को खत्म करने के लिए बीपीएलआर सिस्टम की जगह बेस रेट का सिस्टम लाना होगा। बेस रेट (आधार ब्याज) का अर्थ है बैंकों की बेंचमार्क ब्याज दर तय करने का ऐसा फाम्यरूला जो सभी बैंकों के लिए एक जैसा होगा। बेस रेट वह न्यूनतम ब्याज है जिससे नीचे की दर पर लोन देना बैंकों के लिए मुमकिन नहीं होगा। बेस रेट बैंक के किन लागत वर्गों के आधार पर तय होगा, इसका पूरा खाका रिजर्व बैंक पैनल ने तय कर दिया है।

बैंक क्यों जागे: भारतीय बैंकिंग बिरादरी में आरबीआई के कदम से हड़कम्प मचा हुआ है। इसी पखवाड़े आरबीआई गवर्नर उषा थोराट ने बैंक प्रमुखों के साथ बैठक में फिर उनसे जवाब मांगा है कि ब्याज दरों में भेदभाव क्यों कायम है। इससे पहले कि देश के केंद्रीय बैंक का डंडा उनके सिर पर पड़े, बैंक खुद ही कुछ करते हुए दिखना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने यूनिफार्म रेट का प्रस्ताव रखा। लेकिन रास्ते में एकाध रोड़े बचे हैं। यह प्रस्ताव सभी सदस्य बैंकों के लिए बाध्यकारी नहीं। कोई मेंबर चाहे तो मनमर्जी जारी रख सकता है। कुछेक ने प्रस्ताव का विरोध भी किया है। लेकिन एक्सपर्ट बिरादरी कह रही है कि आरबीआई के सख्त तेवर देखते हुए बागी बैंक भी देरसबेर लाइन पर आ ही जाएंगे।

किसको कितना फायदा: फ्लोटिंग रेट वाले पुराने होमलोन धारकों को फायदा। उन्हें पहले के मुकाबले एक से लेकर दो फीसदी तक कम ब्याज चुकाना पड़ेगा। बीस साल के लिए बीस लाख रुपये के लोन के सालाना ब्याज भुगतान पर यह राहत कई हजार रुपये तक हो सकती है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें