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नन्हें-मुन्हों ने कहा,पेड़-पौधो को बचाएंगे,हरियाली लाएंगे

नन्हें-मुन्हें राही हैं देश के सिपाही हैं..। जी हां,कक्षा दो की छात्र प्राची,कुणाल,कक्षा छह की शालिनी आदि अब पढ़ाई के साथ-साथ पेड़-पौधों को भी जीवन देने का काम करेंगे। होम वर्क की तरह रोजाना स्कूल...

नन्हें-मुन्हों ने कहा,पेड़-पौधो को बचाएंगे,हरियाली लाएंगे
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 11 Dec 2009 07:38 PM
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नन्हें-मुन्हें राही हैं देश के सिपाही हैं..। जी हां,कक्षा दो की छात्र प्राची,कुणाल,कक्षा छह की शालिनी आदि अब पढ़ाई के साथ-साथ पेड़-पौधों को भी जीवन देने का काम करेंगे। होम वर्क की तरह रोजाना स्कूल आने-जाने के दौरान ये सभी गोद लिए अपने पेड़-पौंधों को देखभाल करेंगे। इसका मकसद धरा को पेड़ों की हरियाली से आच्छादित करना है, शुरूआत शुक्रवार को संजयनगर के ग्रीन बैल्ट से एक स्कूल के बच्चों ने किया है। एएलटी रोड पर संजयनगर तक ग्रीनबैल्ट पर सैकड़ों नन्हें-मुन्हों के हाथों में पोथी बस्ता की जगह तख्ती पर लिया स्लोगन और निकाई गुडा़ई करने वाले उपकरण खुरपा,झाड़ आदि देख देखने वाले भी हतप्रभ थे। पहले दिन के कुछ घंटों की मशक्कत से ग्रीन बैल्ट चमकने लगा,जबकि लगभग दो सौ पेड़ों को बच्चों ने गोद लेकर औरों के लिए प्रेरणादायी कार्य किया है।

चौंकिए नहीं, यह कोई पटकथा नहीं बल्कि संजय नगर ग्रीनबैल्ट पर स्कूली बच्चों के जज्बा,उत्साह को सभी ने सराहा। शिक्षकगण बच्चों का उत्साहवर्धन करते दिखे। जलवायु परिवर्तन पर विश्व स्तर पर हो रही चिंतन के बाद गीतांजलि स्कूल द्वारा मात्र शुरूआत भर है। अगर बच्चों की यह चिंगारी जिले स्तर से उठकर प्रदेश और देशभर में यह अभियान सशक्त रूप में चल जाए,तो शायद उजड़ते वन क्षेत्र को बढ़ाने के साथ ही धरा को भी आच्छादित कर बचाया जा सकता है। स्कूल के कक्षा छह की छात्र शालिनी,नन्ही प्राची,योगेश दीपक आदि का कहना था कि पेड़-पौधों की रक्षा अब वे रोज करेंगे। इनके बड़े होने तक देखभाल भी हम लोग करेंगे। ताकि  हमारा क्षेत्र हरा-भरा रहे। इससे स्वच्छ हवा भी सभी को मिलेगी।
  
स्कूल की प्रधानाचार्य वंदना चौधरी ने बताया कि यह तो उनकी पहल मात्र है,पहले दिन लगभग दो सौ पेड़ों को बच्चों द्वारा गोद लिया गया है। बच्चों को पेड़-पौधों की रक्षा का संकल्प दिलाया गया है। जिसमें पेड़-पौधे की रक्षा करने से लेकर दैनिक जीवन,जलवायु परिवर्तन आदि की महत्ता के बारे में बताया गया। विश्व जगत में व्याप्त हलचल से नन्हें-मुन्हों को भी आगाह किया गया,कल से ही सभी गोद लिए पेड़ों की देखभाल करने का सिलसिला इन बच्चों द्वारा किया जाएगा। अगर बच्चों की मेहनत पर कोई प्राकृतिक आपदा का प्रभाव नहीं पड़ा तो अगले साल दो साल में पूरा ग्रीनबैल्ट हरा-भरा हो जाएगा।

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