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दफ्तर की कुर्सियों पर टिकी सेहत

आपके लिए एक सवाल। अपने कार्यस्थल पर आठ घंटे से अधिक का समय आप किसके साथ बिताते हैं? वह आपके साथ काम करने वाली कोई आकर्षक सहकर्मिणी नहीं, बल्कि वो है आपकी कुर्सी। आप मानें या नहीं, कुर्सी आपके कार्य...

दफ्तर की कुर्सियों पर टिकी सेहत
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 08 Dec 2009 10:23 PM
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आपके लिए एक सवाल। अपने कार्यस्थल पर आठ घंटे से अधिक का समय आप किसके साथ बिताते हैं? वह आपके साथ काम करने वाली कोई आकर्षक सहकर्मिणी नहीं, बल्कि वो है आपकी कुर्सी। आप मानें या नहीं, कुर्सी आपके कार्य क्षेत्र के वातावरण का अकेला सबसे महत्वपूर्ण अंग है और यही आपको सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाने में सहायक होती है।

हम में से अधिकांश इस तथ्य को समझ नहीं पाते कि फर्नीचर का यह छोटा सा अंश हमारी सेहत के लिए कितना जरूरी है। तीन वर्ष पूर्व इस सच को माइंडट्री लिमिटेड की एसोसिएट डायरेक्टर विजयलक्ष्मी एन. ने काफी कड़े अनुभव के बाद समझा था। नवंबर 2006 में उन्हें गर्दन में अकड़न और पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द की शिकायत हुई। उनके ऑर्थोपेडिस्ट ने बताया कि उन्हें आरएसआई (रेपीटीटिव स्ट्रेन इंजरी) है, जो कंप्यूटर के सामने देर तक बैठने वाले लोगों को सामान्यत: हो जाता है। विजयलक्ष्मी बताती हैं, ‘लगातार कई घंटों तक बैठने पर उठी समस्या के कारण मुझे दो माह तक आराम करना पड़ा। दफ्तर लौटने के बाद भी मुझे सामान्य होने में एक माह का समय लगा।’

वह 2007 की शुरुआत में काम पर लौटी और जल्द ही उनकी मुलाकात एक इर्गोनॉमिक एसेसमेंट स्पेशलिस्ट भारती जाजू से हुई जो उस समय एक वर्कस्टेशन विश्लेषण कार्यक्रम के लिए माइंडट्री आई थीं। डॉ. जाजू ने विजयलक्ष्मी को उनकी कुर्सी और डेस्क बदलने की सलाह दी। उनके डेस्क की ऊंचाई कम की गई और विजयलक्ष्मी को अतिरिक्त बैक सपोर्ट वाली कुर्सी दी गई जिसमें आरामदेह हत्थे लगे हुए थे और उन्हें काम करते समय अपने कंधे ऊपर करने की जरूरत नहीं पड़ती थी।

बंगलौर के मणिपाल अस्पताल के ऑर्थोपेडिक सजर्न संजय हेगडे कहते हैं, ‘मेरे 30-40 प्रतिशत आउटपेशेंट कंसलटेशन पीठ या गर्दन में दफ्तर में आई चोट संबंधी होते हैं।’ डॉ. हेगडे कहते हैं कि एक ओर जहां अधिकांश चोटों का जिम्मेदार दफ्तरों का असमतल फर्नीचर होता वहीं गलत मुद्रा में बैठना या सही तरीके से बैठने की जानकारी न होना खतरा बढ़ाता है। हेगड़े कहते हैं, ‘बैठना खड़े रहने से 11 गुना अधिक थकाऊ होता है। इसलिए अपनी रीढ़ को उसकी प्राकृतिक मुद्रा में रखना ही इसका समाधान है।’ इसलिए पीठ को उचित आधार देने का समाधान एक अच्छी कुर्सी में ही निहित होता है।

नई दिल्ली स्थित ओरिजिन डिजाइन कंसल्टेंट्स के इंटीरियर डिजाइनर विशाल गर्ग कहते हैं कि इन दिनों मेशबैक कुर्सियां लोकप्रिय हो रही हैं। वह कहते हैं, ‘यह हमारी रीढ़ के स्थायित्व के लिए स्टेबल और फ्लैक्सिबल होती हैं। लेकिन सावधान : आपकी पीठ कुर्सी के बैकरेस्ट में धंसनी नहीं चाहिए।’

हरेक व्यक्ति के लिए कोई ‘एक’ परफेक्ट कुर्सी नहीं है। डॉ. जाजू कहती हैं, ‘एक अच्छी कुर्सी उसके आकार और इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति पर निर्भर करती है।’ लिहाजा, इस्तेमाल करने वाले को दिमाग में रखकर ही कुर्सी खरीदी जानी चाहिए।

कैसे पाएं परफेक्ट मैच
कुर्सी खरीदते समय कुछ बुनियादी बातों को ध्यान में रखने संबंधी क्षम-दक्षता आकलन विशेषज्ञ भारती जाजू के कुछ टिप्स

लंबर सपोर्ट (कूल्हों को आधार) : कूल्हों को यदि उचित आधार मिले तो व्यक्ति 7-8 घंटों तक तनाव मुक्त बैठा रह सकता है। पीठ के निचले हिस्से को सपोर्ट मिले तो आपकी रीढ़ की एस-शेप प्राकृतिक अवस्था में रह सकती है। ऐसी कुर्सी लें जिसमें झुकते समय आपकी पीठ का निचला हिस्सा हल्का सा ही झुके।

हाइट एडजस्टेबिलिटी : जिस कुर्सी पर आप बैठें तो आपके पैर पूरी तरह जमीन पर लगने चाहिए। यदि आपके पैर लटक रहे हैं तो आपके आगे को झुकेंगे जिससे आपकी पीठ की एस-कर्व डिस्टर्ब होगी। आपकी पिंडलियां फर्श के समांतर होनी चाहिए।

बैक इन्क्लाइन : बैक इन्क्लाइन से पीठ के कोण का पता चलता है। एक एडजस्टेबल सीट से आपकी पीठ को आगे या पीछे होने पर सहयोग मिलता है।

आर्मरेस्ट: एक ओर जहां हत्थों के बिना कुर्सी से आपको फ्री-हैंड मूवमेंट मिलती है, वहीं यदि आपके हाथ कुछ ऊपर की ओर हैं तो कंधों में तनाव हो सकता है। ऐसे मामलों में हत्थे कंधों का यह तनाव दूर करते हैं। फ्लैक्सिबल हत्थों से व्यक्तिगत आकार पर कुर्सी की सीमा पहचान में आती है और बाजुओं को शरीर से निश्चित दूरी पर रखने में भी मदद मिलती है।

सीट स्पैन : आपकी थाईबोन की लंबाई के अनुसार ही सीट की गहराई होनी चाहिए जिससे आपकी पीठ को भी आराम मिलता है। सीट की चौड़ाई विभिन्न आकार के व्यक्तियों के अनुसार होनी चाहिए।

कार्यस्थल पर भी करते रहें सेहत की देखभाल
आजकल पढ़ाई और मौजमस्ती की दुनिया से निकल कर नए-नए कामकाजी बने युवाओं में अपने कार्यस्थल पर काम करने का उत्साह देखते ही बनता है। अपने लक्ष्यों को पाने के लिए वे न तो काम के घंटों की परवाह कर रहे हैं और न ही अपनी सेहत से जुड़ी जरूरतों की। हमारे ज्यादातर कार्यस्थलों का नया परिवेश भी उन्हें इसकी छूट नहीं देता है, जबकि ऐसे में अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहने की खास जरूरत होती है।

ऐसे लोगों को दफ्तर में काम करते उठते बैठते अपनी कमर, गर्दन, पेट, हाथ-पैरों और आंखों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। सबसे ज्यादा इन लोगों को सर्वाइकल स्पाइंडिलाइटिस की समस्या से दो चार होना पड़ता है। ज्यादा लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठकर काम करनेवाले इसकी चपेट में आते हैं। हालांकि इस उम्र और स्थिति तक आते आते आम तौर पर युवाओं को अपने शरीर की खूबियों और कमजोरियों का भी एहसास भली-भांति हो चुका होता है। इसलिए यह कतई मुश्किल नहीं कि वे कार्यस्थल पर काम-काज के दौरान भी सेहत के प्रति चौकस न रह सकें। इसके लिए यहां हम दे रहे हैं कुछ छोटी-छोटी बातें जिनसे कार्यस्थल पर
काम करने के दौरान भी आप रह सकते हैं सेहतमंद :  

- आप दफ्तर में काम के दौरान लंबे समय तक कुर्सी पर एक ही मुद्रा में जमे न रहें बल्कि  थोड़े-थोड़े अंतराल पर उठते भी रहें। 
- कंप्यूटर पर काम करते हैं तो भी लगातार स्क्रीन पर निगाहें टिकाए न रहें। 
- काम के दौरान बीच-बीच में गर्दन को पीछे की ओर ले जाना या इधर-उधर घुमाना फायदेमंद है। 
- कमर के पीछे दोनों हाथों का दबाव बनाकर आप अपनी थकान को दूर कर सकते हैं। 
- कार्य के दौरान किसी बहाने उठकर कमरे में ही टहल लेना स्फूर्ति को लौटाता है। टहलने के बाद एक गिलास पानी पीना न भूलें। 
- कार्यस्थल पर जाने से पहले यह देख लें कि आपके कपड़े और जूते आरामदेह हों। 
- अपने आसपास के वातावरण को भी ऐसा रखें कि काम में मन लगे और बीच-बीच में कुछ-कुछ हल्का खाना-पीना भी चलता रहे। 
- कमरे में प्रेरक तसवीरें भी माहौल को स्वास्थ्य के अनुकूल बनाने में मददगार होती हैं।  
प्रदीप संगम

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