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बवासीर में मलद्वार या गुदा के निचले हिस्से की नसें फूल जाती हैं। यह आम रोग है जिसकी बदौलत बहुतेरे नीम-हकीम, फार्मेसियों और झोलाछाप डॉक्टरों की रोजी-रोटी चलती है। अनेक स्थानों पर ऐसे छल्ले, पुड़िया और...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 08 Dec 2009 10:15 PM
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बवासीर में मलद्वार या गुदा के निचले हिस्से की नसें फूल जाती हैं। यह आम रोग है जिसकी बदौलत बहुतेरे नीम-हकीम, फार्मेसियों और झोलाछाप डॉक्टरों की रोजी-रोटी चलती है। अनेक स्थानों पर ऐसे छल्ले, पुड़िया और फार्मूले खूब बिकते हैं, जो बवासीर के शर्तिया इलाज का दावा करते हैं। पचास पार हर दूसरा व्यक्ति बवासीर का रोगी है। शौच के समय मलद्वार से खून जाता है, पर कोई दर्द नहीं होता। हां, जब कभी कोई फूली हुई नस मलद्वार पर भिंचने लगती हैं तब असहनीय वेदना होती है।

कारण : ज्यादातर मामलों की जड़ लंबे समय से चली आई कब्ज होती है, जिसके कारण गुदा और मलद्वार की नसों पर जोर पड़ता है और वे फूल जाती हैं और उनसे खून आता है। गर्भवती महिलाओं में बढ़ते गर्भ के दबाव के कारण भी यह कठिनाई खड़ी हो सकती है। बुजुर्ग पुरुषों में प्रोस्ट्रेट ग्रंथि बढ़ने पर लघुशंका के समय बार-बार जोर लगाने से भी बवासीर होती है। मोटापा भी एक कारण है। कई परिवारों में यह रोग वंशानुगत तौर पर भी होता है। 

खास लक्षण : पहला लक्षण शौच जाने पर निवृत होने के बाद मलद्वार से ताजा खून जाना है। मलद्वार से सफेद डिसचार्ज भी जा सकता है। उस क्षेत्र में खुजली होती है। मलद्वार के पास शिरा का फूला हुआ अंश बाहर की तरफ नजर आता है। शौच के समय फूली हुई शिराएं मलद्वार से बाहर आने लगती हैं। रोग पुराना पड़ने पर नीचे की ओर जरा-सा जोर लगाते ही ये शिराएं बाहर आ जाती हैं। शुरू में ये अपने से ही अंदर चली जाती हैं। लेकिन फिर कुछ लोगों में ये हर समय ही बाहर रहने लगती हैं। यह स्थिति परेशानी देती है।

बवासीर के ज्यादातर रोगियों को खून जाने के साथ दर्द नहीं होता। अगर दर्द हो तो समझ लें कि जरूर कोई कॉम्पलीकेशन है।  
जारी..

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