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मुस्लिम भी बन सकता है प्रधानमंत्रीः राहुल गांधी

क्या कभी कोई मुस्लिम इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता है? यह सवाल जब बीएससी की छात्र उम्मा कुलसूम ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की ओर उछाला, तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया- क्यों नहीं बन सकता? आप...

मुस्लिम भी बन सकता है प्रधानमंत्रीः राहुल गांधी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 07 Dec 2009 07:15 PM
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क्या कभी कोई मुस्लिम इस देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता है? यह सवाल जब बीएससी की छात्र उम्मा कुलसूम ने कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की ओर उछाला, तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया- क्यों नहीं बन सकता? आप इसके लिए तैयारी कीजिए।

राहुल सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कैनेडी हॉल में छात्रों से रूबरू थे। युवा सांसद से जिस उत्साह के साथ छात्र-छात्रओं ने सवाल किए, उसी अंदाज में राहुल ने उन्हें जवाब भी दिए। कैनेडी हॉल में आते ही राहुल गांधी ने अस्सलाम वालेअकुम कहकर अभिवादन किया और फिर औपचारिक स्वागत-सत्कार के बाद छात्रों के सवालों की बौछार को तैयार हो गए।

छात्र उमर गाजी ने पूछा कि मॉडर्न इंडिया में मुस्लिम की क्या भूमिका है, राहुल ने कहा कि मैं समझता हूँ कि हम एक परिवार के रूप में प्रगति कर सकते हैं। धर्म और वर्गो में बँट कर नहीं।  मंगलायतन की छात्र मलिका गौड़ ने प्रश्न किया कि आपका आदर्श नेता कौन है? राहुल का सिर्फ एक जवाब था महात्मा गांधी।

छात्र जिया मसरुर ने सच्चर कमेटी की सिफारिशों की प्रगति जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि इस दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है। इंडियन मुस्लिम की क्या स्थिति होगी जब आप प्रधानमंत्री होंगे? राहुल गांधी ने कहा कि आप 15 मुस्लिम नेता विशेषकर युवा नेताओं के नाम बताएँ। जब छात्र नहीं बता पाए तो राहुल घटकर दस और फिर पाँच पर आ गए।

एक छात्र ने नाम बताया -सलमान खुर्शीद तो राहुल ने कहा कि वे बुजुर्ग हैं, लगते 40 के हैं। फिर नाम आया उमर अब्दुल्ला। राहुल ने कहा कि आपको नाम इसलिए याद नहीं हैं क्योंकि मुस्लिम में लीडरशिप इतनी ही कम है। इसे बढ़ाने को आपको आगे आना होगा।

सवालों से घिरे राहुल गांधी पर जब बीए की छात्र इरम खान ने सवाल दागा कि क्या आप एएमयू को मुस्लिमों के एक तालीमी इदारे यानि अल्पसंख्यक संस्था के रूप में स्वीकारते हैं? तो उनका जवाब था वह इसे ग्लोबल एजूकेशन सेंटर मानते हैं।

इजिप्ट के दौरे में उन्हें जिस तरह की इमारतें देखने को मिलीं, एएमयू देख वो मंजर याद आ गया। छात्र अथहर अली ने पूछा कि जब केंद्र विकास के लिए एक रुपया भेजता है तो पात्र तक दस पैसे पहुँचते हैं? आप इसे रोकने के लिए क्या कर रहे हैं? राहुल ने कहा कि देश आजादी के बाद दो समूहों में बंट गया।

एक धनाढय़, प्रगतिवादी व तेज गति से विकास करने वालों का तो दूसरा गरीबों व कम गति से बढ़ने वालों का। पहले वर्ग के पास अपनी अनेक पहचान हैं, लेकिन दूसरे के पास पहचान-पत्र तक नहीं है। भारत के पास संसाधन नहीं हैं, लेकिन इंडिया के लोगों के पास हैं। वे उनकी मदद करें, तभी देश की सच्ची उन्नति होगी। आज देश में धन की कमी नहीं हैं, लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन में उस धन को ग्रामीण अंचल व गरीबों तक पहुँचाने व सदुपयोग की आवश्यकता है। इस कार्य को युवा ही कर सकते हैं।

छात्र मिर्जा दानिश बेग ने पूछा कि भारत व इंडिया के आधार पर हमारे बीच जो अलग-अलग शिक्षा पद्धतियाँ हैं, क्या वह देश के विकास के लिए सही हैं? राहुल ने जवाब दिया कि मैं श्रवस्ती के एक गाँव गया तो वहाँ की एक महिला से मैंने पूछा कि आप क्या चाहती हैं? उन्होंने कहा कि मेरे बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा हो।

राहुल ने कहा कि यह जीवन की सचाई है। अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले को दिल्ली में अच्छी नौकरी मिल जाती है, हिन्दी ,उर्दू य मराठी वाले को नहीं। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में अंग्रेजी सीखना आवश्यक है। उन्होंने चीन का उदाहरण दिया कि उस देश ने अमेरिका में बिजनेस बढ़ाने के लिए 13 बिलियन खर्च किए।

उन्होंने कहा कि हावर्ड, आईआईटी हो या एएमयू। जब आप शिक्षा पाकर यूएसए, ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड जाते हैं तो संवाद के लिए अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान आवश्यक है। छात्रों से लगभग 25 मिनट तक प्रश्नकाल में उलझने के बाद राहुल ने सबसे इस आश्वासन के साथ विदा लिया कि वह फिर एएमयू आएंगे। रजिस्ट्रार प्रो. वीके अब्दुल जलील ने आभार जताया। संचालन जीईसी को-ऑर्डिनेटर डॉ. शकील समदानी ने किया।

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