मेरा भाई मेरे मैच का लाइव नहीं देखताः सचिन
सचिन तेंदुलकर जब बल्लेबाजी करते हैं तो पूरा देश टीवी के सामने नजरें गड़ाए बैठता है, लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो उनके मैचों का सीधा प्रसारण देखने की बजाय लंबी ड्राइव पर जाना पसंद करता है। यह और कोई...
सचिन तेंदुलकर जब बल्लेबाजी करते हैं तो पूरा देश टीवी के सामने नजरें गड़ाए बैठता है, लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो उनके मैचों का सीधा प्रसारण देखने की बजाय लंबी ड्राइव पर जाना पसंद करता है। यह और कोई नहीं बल्कि इस चैम्पियन बल्लेबाज का बड़ा भाई अजीत है जिनके साथ वह खेल के हर पहलू पर चर्चा करते हैं।
तेंदुलकर ने कहा, ‘वह मेरे मैच नहीं देखते। मेरे दोस्तों ने बताया है कि वह अकेले लंबी ड्राइव पर चले जाते हैं जहां कोई रेडियो नहीं हो। वह मैच खत्म होने के बाद ही लौटते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वह रिकार्डिंग देखते हैं। उसके बाद वह और मैं बात करते हैं कि मैंने कहां गलतियां कीं और कहां सुधार किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं रोज शाम उनसे बात करता हूं और हम यही बात करते हैं कि मैच के लिए कैसे तैयारी करनी है और किन गलतियों को नहीं दोहराना है। स्कूली क्रिकेट से मैं ऐसा ही करता आ रहा हूं।’
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 20 बरस पूरे करने वाले तेंदुलकर ने अपनी पत्नी अंजलि को भी धन्यवाद दिया जिसने उनके लिए अपने मेडिकल करियर को तिलांजलि दे दी। तेंदुलकर ने एक न्यूज चैनल से कहा, ‘मैं अपने जज्बात चेहरे पर जाहिर नहीं कर सकता। लेकिन वह जानती हैं कि मैं क्या महसूस कर रहा हूं और क्या कहना चाहता हूं। वह समझती है।’ तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें अपने दिवंगत पिता की बहुत याद आती है क्योंकि वह जीवन के हर पहलू में उनके प्रेरणास्रोत थे। उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा उन्हें याद करता रहूंगा। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। मुझे अच्छे और बुरे दौर में उनकी कमी खलती है। वह मेरी ऊर्जा का स्रोत थे और प्रेरक भी।’
महेंद्र सिंह धोनी और सौरव गांगुली में तुलना के सवाल पर तेंदुलकर ने कहा कि दोनों का आक्रामकता दिखाने का अपना तरीका है और गांगुली की बॉडी लैंग्वेज अधिक आक्रामक थी। उन्होंने कहा, ‘मैं तुलना नहीं करता । हर किसी की अपनी पहचान है। दोनों की अलग शख्सियत है। धोनी काफी शांतचित हैं, लेकिन सौरव की बॉडी लैंग्वेज अलग थी।’ उन्होंने कहा, ‘दोनों आक्रमक है, बस शैली का फर्क है। वे अलग-अलग ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। मैं तुलना करना पसंद नहीं करता।’
गांगुली की कप्तानी में खेलने के बारे में तेंदुलकर ने कहा कि अपनी कप्तानी में उन्होंने अधिकांश फैसले खुद लिए, लेकिन कप्तान अच्छा तभी है, जब टीम अच्छी है। उन्होंने कहा, ‘कप्तान तभी सफल होता है जब टीम अच्छा खेलती है। यदि टीम 150-200 रन पर आउट हो जाती है तो अच्छा कप्तान भी कुछ नहीं कर सकता। लेकिन निर्णय लेने के मामले में मैं सौरव की काबिलियत का मुरीद हूं।’
तेंदुलकर ने कहा, ‘सौरव के फैसलों के परिणाम भी अच्छे रहे। इसलिए मुझे लगता है कि उन्होंने हमारे लिए शानदार काम किया है। भारतीय क्रिकेट में वर्ष 2001 के समय में ऐसा वक्त भी आया, जब हमने भारत के बाहर लगातार जीत दर्ज करना शुरू कर दिया था। इससे एक ट्रेंड शुरू हुआ, जो भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत अच्छा था और सौरव ने इसमें अहम भूमिका निभायी थी।’
इस 36 वर्षीय खिलाड़ी ने हालांकि ड्रेसिंग रूम के अंदर की विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया, लेकिन कहा कि युवा खिलाड़ी हल्के फुल्के मजाक से माहौल खुशनुमा बनाए रखते हैं, जो कभी कभार मेरे ऊपर होते हैं।
उन्होंने खुलासा किया, ‘एक युवा खिलाड़ी दो बार सोचेगा क्योंकि वह मुझे अच्छी तरह नहीं जानता, लेकिन युवराज और हरभजन के साथ वे माहौल खुशनुमा बना देते हैं।’