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जस्टिस दिनाकरण के लिए इस्तीफा बेहतर विकल्प

केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनाकरण को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने की सिफारिशखारिज करने के बाद अब सवाल यह है कि क्या जस्टिस दिनाकरण मुख्य न्यायाधीश बने रह सकते हैं? जिन्हें...

जस्टिस दिनाकरण के लिए इस्तीफा बेहतर विकल्प
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 06 Dec 2009 12:24 AM
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केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनाकरण को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने की सिफारिशखारिज करने के बाद अब सवाल यह है कि क्या जस्टिस दिनाकरण मुख्य न्यायाधीश बने रह सकते हैं? जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत होने के लिए योग्य नहीं समझा गया वह एक हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश कैसे रह सकते हैं? यही सवाल अब जजों की सर्वोच्च चयन समिति (कोलेजियम) के सामने भी है।

इस सवाल पर पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ न्यायविद शांतिभूषण कहते हैं कि किसी जज को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने की सिफरिश रद्द होने का मतलब यह नहीं है होता कि वह हाईकोर्ट का जज भी नहीं रह सकता। लेकिन यह केस अलग है यहां जस्टिस दिनाकरण पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। केंद्र सरकार ने प्रोन्नति की फाइल वापस सुप्रीम कोर्ट भेजते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) और तिरूवल्लूर के कलेक्टर की रिपोर्टें जस्टिस दिनाकरण पर लगे जमीन कब्जाने के आरोपों की पुष्टि करती हैं। इसलिए मेरा मानना है कि वह अब हाईकोर्ट का जज बने रहने की योग्यता खो चुके हैं।

जस्टिस दिनाकरण के लिए बेहतर यही होगा कि वह अपना इस्तीफा दे दें। पूर्व विधि मंत्री ने कहा कि यह सही है कि देश के मुख्य न्यायाधीश का हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों पर कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होता लेकिन इस मामले में वह जस्टिस दिनाकरण को छुट्टी पर जाने की सलाह दे सकते हैं। उन्होंने महाभियोग की कार्रवाई की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ और रास्ते (जजेज इंक्वायरी एक्ट, 1964 के तहत महाभियोग) अपनाए जाएंगे।
 
पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ न्यायवदि राम जेठमलानी ने कहा, ‘यदि जस्टिस दिनाकरण जगह मैं होता तो इस्तीफा दे देता। यह एक व्यक्तिगत सम्मान की बात है। एक आत्मसम्मान वाला व्यक्ति इतना होने के बाद पद पर नहीं बने रह सकता। उन्हें स्वयं इस्तीफा देना चाहिए और महाभियोग की नौबत से बचना चाहिए।’ कानून के एक अन्य जानकार ने कहा कि सिफारिश रद्द होने से चयन समिति की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। चयन समिति को इस मुद्दे पर कड़ा फैसला लेकर अपनी छवि को बचाना चाहिए। समिति ने तीन माह पूर्व जस्टिस दिनाकरण को सुप्रीम कोर्ट से प्रोन्नत करने की सिफारिश की थी।

 

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