फोटो गैलरी

Hindi Newsसमीक्षा बैठक में शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है

समीक्षा बैठक में शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है

फरीदाबाद में गुरुवार को होने वाली डीजीपी की समीक्षा बैठक में पुलिस अधिकारियों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है। कमिश्नरी लागू होने के चार महीने बाद भी फरीदाबाद पुलिस के हाथ उपलब्धियों के नाम पर कुछ खास...

समीक्षा बैठक में शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 01 Dec 2009 08:34 PM
ऐप पर पढ़ें

फरीदाबाद में गुरुवार को होने वाली डीजीपी की समीक्षा बैठक में पुलिस अधिकारियों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ सकती है। कमिश्नरी लागू होने के चार महीने बाद भी फरीदाबाद पुलिस के हाथ उपलब्धियों के नाम पर कुछ खास नहीं है।

पुलिस अधिकारियों की संख्या तो बढ़ी है, परन्तु अपराध थमने की बजाय बढ़ता जा रहा है। अभी भी पुराने इन्फ्रास्ट्रक्चर व बनी बनाई लकीर पर काम चल रहा है। जबकि पुलिस अधिकारी एक ही बात कहते हैं कि नई व्यवस्था को स्थापित करने में समय लगता है।

हरियाणा पुलिस के डीजीपी रंजीव दलाल गुरुवार को प्रदेश की पहली कंप्यूटराइज्ड शस्त्र लाइसेंस सेल का शुभारंभ करने फरीदाबाद आ रहे हैं। इस दौरान वह पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी करेंगे। इसकी तैयारियों को लेकर पुलिस अधिकारी अभी से जुटे हुए हैं। लेकिन स्थानीय पुलिस के पास उपलब्धियों के नाम पर ऐसा कुछ खास नहीं है। जिसे वह पुलिस प्रमुख के सामने रख सकें।

गौरतलब है कि दिल्ली में अगले साल होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर 1 अगस्त 09 को फरीदाबाद में पुलिस कमिश्नरी व्यवस्था लागू की गई। 123 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस कमिश्नरी का असर नजर नहीं आता। पुलिस अधिकारियों की संख्या तो बढ़ा दी गई। लेकिन अभी भी थानों में पुलिस कर्मियों की भारी किल्लत है। कमिश्नरी के लिए प्रस्तावित पुलिस फोर्स अब तक नहीं दी गई। अपराध के ग्राफ में भी कोई खास कमी  नहीं आई है।

पहले के मुकाबले इस व्यवस्था में चोरों वे चेन स्नैचैरों की बल्ले-बल्ले है। ढीले ट्रैफिक इंतजाम के चलते कमिश्नरी लागू होने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में करीब 60 लोगों की मौत हो चुकी है। उससे पहले के तीन महीनों में करीब 45 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। कमिश्नरी लागू होने के बाद अनुमान लगाया जा रहा था।

गुड़गांव व दिल्ली की तरह चौराहों पर सीसीटीवी, जीपीएस सिस्टम व हाइटेक कंट्रोल रूम जैसी मूलभूत सुविधाएं पुलिस को जल्द मुहैया कराई जाएंगी। अब तक ऐसा नहीं किया गया है। पुलिस कंट्रोल रूम भी जुगाड़ व्यवस्था पर निर्भर है।

पुलिस कमिश्नर पी.के.अग्रवाल का कहना है कि किसी भी नई व्यवस्था को शुरु करने में समय लगता है। धीरे-धीरे बेहतर व्यवस्था की ओर हम बढ़ रहे हैं। पुलिस को व्यापक सुविधाएं मुहैया कराए जाने पर काम चल रहा है। कई नई व्यवस्थाएं आदेश मिलने का इंतजार कर रही हैं। अपराध पर अंकुश लगाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें