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अकसर आप लोग अखबारों में कई तरह के निवेशकों के बारे में पढ़ते रहते होंगे जैसे व्यक्तिगत निवेशक, सामाजिक संस्थाएं और विदेशी संस्थागत निवेशक, लेकिन इनमें से कई के बारे में विस्तार से जानते नहीं होंगे।...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 20 Nov 2009 11:34 PM
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अकसर आप लोग अखबारों में कई तरह के निवेशकों के बारे में पढ़ते रहते होंगे जैसे व्यक्तिगत निवेशक, सामाजिक संस्थाएं और विदेशी संस्थागत निवेशक, लेकिन इनमें से कई के बारे में विस्तार से जानते नहीं होंगे। आज हम आपको इनके बारे में जानकारी देंगे।
व्यक्तिगत निवेशक: संख्या के हिसाब से कहा जाए, तो यह समूह शेयरधारकों का सबसे बड़ा हिस्सा होता है। जहां तक सार्वजनिक निर्गम की बात है, तो व्यक्तिगत निवेशकों को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहले वह जो अधिकतम एक लाख रुपए के शेयर के लिए आवेदन कर सकते हैं और दूसरे वह जो एक लाख या उससे अधिक मूल्य के शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन निवेशकों को एचएनआई कहा जाता है। आईपीओ में फुटकर निवेशकों का हिस्सा 35 और एचएनआई का 25 प्रतिशत होता है।
सामाजिक संस्थाएं: ये कई लोगों द्वारा आपस में मिलकर बनाई गई संस्थाएं होती हैं, लेकिन ये संस्थाएं अपने बनाए गए नियम कानूनों के तहत ही शेयर बाजार में निवेश कर सकती हैं।
विदेशी संस्थागत निवेशक: ये वे संस्थाएं होती है जिनकी रचना भारत में निवेश करने हेतु विदेश में की गई है। भारत में निवेश करने के लिए इन संस्थाओं को सेबी के साथ अपना पंजीकरण विदेशी संस्थागत निवेशक के रूप में करना होता है। सेबी के नियमों के मुताबिक इस तरह की संस्थाएं किसी भारतीय कंपनी के आईपीओ के कुल मूल्य के दस प्रतिशत से ज्यादा पर निवेश नहीं कर सकतीं।
वित्तीय संस्थाएं: वित्तीय संस्थाओं के अंतर्गत बैंक, बीमा कंपनियां, पेंशन फंड आदि के लिए धन लगाने वाली संस्थाएं होती हैं। निवेशकों के संदर्भ में कहें, तो प्राथमिक और द्वितीयक बाजार के ये सबसे बड़े निवेशक होते हैं।

 

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