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अवैध निर्माण को नहीं ढहाएगा निगम

अवैध निर्माण तोड़ने पर होने वाले नुकसान से नगर निगम लोगों को बचाने के मूड में है। तोड़ने के बाद इमारत को दोबारा बनाने पर आने वाले खर्च से कम फीस लगाकर निगम उसको पास करने की नीति पर काम कर रही है।...

अवैध निर्माण को नहीं ढहाएगा निगम
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 16 Nov 2009 08:07 PM
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अवैध निर्माण तोड़ने पर होने वाले नुकसान से नगर निगम लोगों को बचाने के मूड में है। तोड़ने के बाद इमारत को दोबारा बनाने पर आने वाले खर्च से कम फीस लगाकर निगम उसको पास करने की नीति पर काम कर रही है। ताकि दोनों को फायदा हो सके। निगम को राजस्व मिलेगा। संबंधित व्यक्ति का नुकसान नहीं होगा। स्थानीय निकाय निदेशालय को इससे अवगत करवा दिया गया है। निदेशालय के अफसरों के साथ जल्द इस बाबत चर्चा होगी। फिर निगम सदन में इसका प्रस्ताव पास करके नीति को शहर में लागू कर दिया जाएगा।

शहर में अवैध निर्माण का सिललिसा थम नहीं रहा। सुरक्षा के उपायों को दरकिनार कर लोग बिना अनुमति के निर्माण कर रहे हैं। मार्केट में निर्धारित ऊंचाई से ज्यादा ऊंची खड़ी इमारत इसकी तस्दीक करती हैं। नक्शा, विकास शुल्क, हाउस टैक्स न मिलने पर ऐसी इमारतों से निगम को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। मिलीभगत करके निर्माण करवाने के आरोप अफसरों पर लगते रहे हैं। यूं तो अवैध निर्माण करने वालों पर नजर रखने को निगम ने तोड़फोड़ दस्ता रखा है। बिल्डिंग इंस्पेक्टर फील्ड में तैनात हैं। हाल में टॉस्क फोर्स भी गठित की। इतने तामझाम के बाद भी बिल्डिंग अवैध रूप से बन रही हैं। ऐसे लोगों पर नकेल डालने में निगम को कामयाबी कम मिल पा रही है।

मेयर ब्रह्मवती खटाना के अनुसार, इस नीति पर जल्द ही स्थानीय निकाय निदेशालय के सचिव के साथ बैठक होगी। यह मीटिंग चण्डीगढ़ या फिर फरीदाबाद कहीं भी हो सकती है। समय व स्थान अभी तय होना बाकी है। अफसरों के साथ चर्चा के बाद नीति को पास करने के लिए प्रस्ताव सदन में लाया जाएगा। उम्मीद है नई नीति बनने के बाद लोगों को राहत मिलेगी। निगम को राजस्व मिलेगा।

नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर एमके सोलंकी का कहना है कि निगम स्तर पर अफसरों की मीटिंग में यह सुझाव रखा गया। जिसको काफी सराहा गया। अवैध निर्माण करते हुए कई बार लोग छत तक डाल देते हैं। तब निगम का दस्ता उसको तोड़ता है। संबंधित व्यक्ति को भारी नुकसान होता है। मंजूरी लेने के बाद उसे दोबारा इमारत तामीर करनी पड़ती है। इसमें भारी खर्चा उसका होता है। ऐसे खर्च से लोगों को बचाने को निगम इस दिशा में काम कर रहा है।

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