फोटो गैलरी

Hindi Newsमहंगाई के नए शिकार ‘बस यात्री’

महंगाई के नए शिकार ‘बस यात्री’

हम सभी जानते हैं कि दिल्ली में एक छोटा भारत बसता है। कोई नौकरी पेशा है, कोई व्यवसायी और सबसे अधिक विद्यार्थी वर्ग। अब तक सब खुश थे, राहत की सांस लेते थे कि कम से कम बस किराया तो सस्ता है पर अब यह भी...

महंगाई के नए शिकार ‘बस यात्री’
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 16 Nov 2009 12:22 AM
ऐप पर पढ़ें

हम सभी जानते हैं कि दिल्ली में एक छोटा भारत बसता है। कोई नौकरी पेशा है, कोई व्यवसायी और सबसे अधिक विद्यार्थी वर्ग। अब तक सब खुश थे, राहत की सांस लेते थे कि कम से कम बस किराया तो सस्ता है पर अब यह भी बढ़ चुका है। सभी परेशान हैं, उनकी जीवन व्यवस्था (बजट) गड़बड़ाने लगी है। खाने-पीने की चीजें तो पहले से ही आसमान छूती आ रही हैं और ऊपर से यह नया बस किराया। आम जनता एवं विद्यार्थी का सबसे महत्वपूर्ण सहारा, बस भी महंगाई की चोट से बच न सकी। आम जनता की जीवन-व्यवस्था चरमाराने लगी है।
संतोष कुमार सुमन, दिल्ली

प्रधानमंत्री जी से गुहार
महान भारत के प्रधानमंत्री माननीय डॉ. मनमोहन सिंह जी से अनुरोध करता हूं कि गरीब जनता पर होने वाली महंगाई की जबरदस्त ‘गोलीबारी’ बंद करवाने के लिए हस्तक्षेप कराएं, ताकि गरीब जनता की थाली में दाल-रोटी नजर आए। मैं आशा करता हूं कि सहनशील, दयावान, कार्यकुशल प्रधानमंत्री मेरी राय पर अवश्य ध्यान देंगे।
रोशन लाल बाली, नई दिल्ली

मनसे की मानसिकता
महाराष्ट्र विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मनसे द्वारा हिन्दी में शपथ लेने पर बवाल उठाना यह सिद्ध करता है कि हमारी मातृभाषा हिन्दी की जड़ें अब पूरे भारत में मजबूत हो रही हैं। इसके प्रचार से परेशान लोग खंभा नोच रहे हैं। यह तो हमारा हिन्दुस्तान और बेचारी हमारी हिन्दी भाषा है, जो चुपचाप अपना अपमान सह लेती है। यदि किसी अन्य मुल्क में वहां की राष्ट्रभाषा का मजाक होता तो देशद्रोह हो जाता। इन लोगों को अपने राज्यों में हिन्दी फिल्में, हिंदी रंगमंच, हिंदी धारावाहिकों, हिन्दी साहित्य की तरक्की हजम नहीं हो रही। कृपया, कोई नया हथकंडा अपनाइए, मेरे भाइयो।
राजेन्द्र कुमार सिंह, दिल्ली

हिंदी का अपमान
हिंदी हिन्दुस्तान की राष्ट्रीय भाषा है, जो लगभग सभी राज्यों, प्रांतों में बोली जाती है। हिंदी के बिना व्यापार कार्य चलाना कठिन है। राज ठाकरे जैसे जो हिंदी का अपमान करते हैं, उनके दिमाग का इलाज करना आवश्यक है। जो हिंदी का विरोध करता है, वह देशद्रोही से कम नहीं।
 देवराज आर्य मित्र, नई दिल्ली

ऑस्ट्रेलिया नंबर वन
ऑस्ट्रेलिया सच में नंबर वन टीम है। ऑस्ट्रेलिया टीम के मुख्य खिलाड़ी चोटिल होकर ऑस्ट्रेलिया वापस चले गए हैं फिर भी टीम इंडिया को उसके घरेलू मैदानों पर नाको चने चबवा दिया हैं। भारतीय टीम मजबूत है, पर केवल कागजों पर, वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया की टीम कम अनुभवी है, फिर भी ऑस्ट्रेलिया की फील्डिंग, बॉलिंग और साथ ही पोंटिंग की चालाक कप्तानी के कारण भारतीय टीम मैदान पर ऑस्ट्रेलिया से कम ही साबित होती है। ऑस्ट्रेलिया का हर एक खिलाड़ी मैदान पर अपना 100 प्रतिशत रिजल्ट देता है, चाहे वह उनकी फील्डिंग हो, बॉलिंग हो या बैटिंग। उनका कभी हार न मानने का जज्बा ही है, जो उन्हें नम्बर वन की श्रेणी में खड़ा करता है।
विकास कुमार, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें