फरचाी नाम से लकड़ी का अवैध कारोबार
राज्य के धालधूम प्रमंडल में फराी नाम से लकड़ी की तस्करी खुलेआम जारी है। पड़ोसी राज्य उड़ीसा के ठेकेदारों ने इस इलाके को चारागाह बना रखा है। पलामू के ठेकेदार भी धालभूम प्रमंडल के मनोहरपुर में अपना...
राज्य के धालधूम प्रमंडल में फराी नाम से लकड़ी की तस्करी खुलेआम जारी है। पड़ोसी राज्य उड़ीसा के ठेकेदारों ने इस इलाके को चारागाह बना रखा है। पलामू के ठेकेदार भी धालभूम प्रमंडल के मनोहरपुर में अपना जलवा दिखाने में पीछे नहीं हैं। क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी चाह कर भी यहां हो रही गड़बड़ियों पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं, क्योंकि ठेकेदारों की पहुंच राज्य मुख्यालय स्तर तक है। लगातार हो रही तस्करी के कारण वन विकास निगम को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।ड्ढr निगम को सूचना मिली थी कि केंदु पत्ता सहित सागवान और अन्य बेशकीमती लकड़ियों का कारोबार एक ही आदमी छद्म नाम से कर रहा है। रां ऑफिस मनोहरपुर ने यहां तक कहा है कि बैजंती बड़ाईक बैजंती देवी के नाम से फराी कारोबार कर रही हैं। इसी प्रकार एसके सेन और ओपी जन के बार में भी डिवीजनल मैनेजर कार्यालय से शिकायत की गयी है। कहा गया है कि नवल किशोर अग्रवाल, राकेश सिन्हा और एम तिवारी भी केंदु पत्ते का अवैध कारोबार कर रहे हैं। हालांकि क्षेत्रीय कार्यालय ने पैन कार्ड के माध्यम से ही कारोबार करने का आदेश निर्गत कर रखा है, पर इसपर अमल नहीं होता।ड्ढr डिपो में बदला जा रहा लॉटड्ढr सबसे अधिक गड़बड़ी लकड़ी रीलिज करने में होती है। जिस लॉट की नीलामी होती है, उसके बदले दूसर लॉट की लकड़ी दी जा रही है।जराईकेला, सरायकेला, सोनुआ, चक्रधरपुर, मनोहरपुर और बड़ा जामदा डिपो से यह कारोबार हो रहा है। जांच कमेटी ने चोरी की रिपोर्ट की थी : आयकर और सरकारी दर से कम रट पर मजदूरी का भुगतान को लेकर जांच कमेटी बनी थी। कमेटी केएसीएफ एचके मंडल, आरओ वीएस ठाकुर और एजीएम एस किस्पोट्टा ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि गिरिडीह में फराी क्रेता बनकर सरकारी दर से कम मजदूरी का भुगतान किया गया और आयकर की भी चोरी की गयी।