ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से जुड़े कई अहम् मसलों के निपटारे पर केन्द्र और प्रदेश सरकार की कथित हीलाहवाली पर तीखी नाराजगी जताई है। अगले साल 19 से 21 मार्च के बीच लखनऊ में होने वाले सालाना इजलास में बोर्ड इस मुद्दे पर खासतौर पर गौर करेगा।
बोर्ड की कार्यकारिणी के प्रमुख सदस्य और बोर्ड की कमेटी ऑन बाबरी मस्जिद के प्रमुख जफरयाब जीलानी एडवोकेट ने हिन्दुस्तान से खास बातचीत में बताया कि इस सालाना इजलास की तैयारी शुरू हो गई हैं। हज के बाद बोर्ड के सभी प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक होगी जिसमें इस सालाना इजलास के लिए एजेण्डे को अंतिम रूप दिया जाएगा।
श्री जीलानी ने कहा कि मुसलमानों में अब भी यही अहसास बना हुआ है कि उनके साथ इंसाफ नहीं हो रहा। इस अहसास को खत्म करने की जिम्मेदारी केन्द्र और प्रदेश सरकार की ही है। प्रदेश सरकार से लम्बे अर्से से माँग की जा रही है मुस्लिम परिवारों की लड़कियों और माँ को कृषि भूमि में बराबर का हक दिया जाए।
प्रदेश सरकार ने कुछ अर्सा पहले जमींदारी उन्मूलन एक्ट में आंशिक बदलाव करते हुए अविवाहित लड़कियों को तो कृषि भूमि में हिस्सा देने की बात मान ली मगर विवाहित लड़कियों और माँ को हिस्सा देने का मामला अभी भी लटका हुआ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में विवाहित लड़कियों और माँ को हिस्सा देने की बात मान चुका है मगर न जाने क्यों प्रदेश सरकार इस मामले पर हीलाहवाली कर रही है।
श्री जीलानी ने कहा कि अयोध्या विवाद में रायबरेली की स्थानीय अदालत में चल रहे मुकदमे को लेकर सीबीआई गम्भीर नहीं दिखती। यही हाल हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रहे मुकदमे का भी है। एक पक्ष की बहस पूरी होने के बाद मामला फिर लटक गया है। केन्द्र और प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इन सभी मुकदमों के निपटारे की रफ्तार बढ़वाने के लिए खुद पहल करे और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से खासतौर पर