ढेर हुई हजकां को संभालने चले भजन लाल
भजन लाल जिस जोड़-तोड़ की राजनीति के पीएचडी माने जाते हैं इस बार उन्हीं दांव-पेंचो से खुद मार खा गए। पुत्र मोह के सामने भजन की पीएचडी पूरी तरफ फेल हो गई। भजनलाल ने हजकां सुप्रीमों कुलदीप बिश्नोई के...
भजन लाल जिस जोड़-तोड़ की राजनीति के पीएचडी माने जाते हैं इस बार उन्हीं दांव-पेंचो से खुद मार खा गए। पुत्र मोह के सामने भजन की पीएचडी पूरी तरफ फेल हो गई। भजनलाल ने हजकां सुप्रीमों कुलदीप बिश्नोई के बचाव में कहा कि हजकां विधायकों ने अच्छा नहीं किया। उन्होंने कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाया और साथ ही ढेर हुई हजकां को दोबारा से संभालने की बात कही।
राजनीति में अदला-बदली के एक्सपर्ट माने जाने वाले भजनलाल ने सत्तर के दशक में जनता पार्टी का कांग्रेस में विलय कराकर जोड़-तोड़ की अपनी क्षमता का परिचय दिया था। उसके बाद केंद्र में नरसिम्हाराव सरकार को अल्पमत के भंवर से बाहर निकालने के बाद भजनलाल को राजनीति में पीएचडी कहा जाने लगा। भजनलाल ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसदों को तोड़कर खुद को पीएचडी साबित कर दिया था।
2005 के विस चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में पिछड़ने के बाद भजनलाल ने कांग्रेस पार्टी से अलग होकर हजकां (बीएल) का गठन किया था। लोकसभा चुनावों में एक सीट जीतकर पार्टी ने अपना खाता खोला, जबकि विस चुनावों में हजकां को छह सीटें मिली। राजनीति के जानकारों का कहना है कि कुलदीप बिश्नोई की अपरिपक्वता के चलते हजकां न तो सरकार में शामिल हो सकी और न ही कांग्रेस को समर्थन देने की बात पर समय रहते कोई फैसला ले सकी।
भले ही आज हजकां ढेर हो चुकी है, लेकिन भजनलाल इसके लिए कुलदीप बिश्नोई व अपनी पीएचडी को दोष नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि हजकां विधायकों की निर्णय ठीक नहीं था। पार्टी हित में उन्हें कुछ सोचना चाहिए था। उन्होंने माना कि कांग्रेस के साथ उनकी बातचीत चल रही थी। हजकां ने सरकार में शामिल होने की कोई शर्त नहीं रखी थी।
कुछ समय बाद बाद में पार्टी के विलय की बात पर अवश्य चर्चा हुई। जोड़-तोड़ करने के माहिर भजन की पार्टी के विधायक जब कांग्रेस में शामिल हो गए तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने धोखा किया है। हजकां के अस्तित्व बाबत उन्होंने कहा कि पार्टी को संभाला जाएगा।