फोटो गैलरी

Hindi Newsलंबी प्रक्रिया है न्याय में बाधक : मदन मोहन

लंबी प्रक्रिया है न्याय में बाधक : मदन मोहन

सीएनटी एक्ट के मामलों और भूमि वापसी के आंदोलन में सक्रिय जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के प्रधान मदन मोहन ने बताया कि आदिवासी जमीन पर कबजा मुक्त करने के लिए सीएनटी एक्ट की धारा 71ए के तहत भू वापसी का मुकदमा...

लंबी प्रक्रिया है न्याय में बाधक : मदन मोहन
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 10 Nov 2009 07:28 PM
ऐप पर पढ़ें

सीएनटी एक्ट के मामलों और भूमि वापसी के आंदोलन में सक्रिय जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी के प्रधान मदन मोहन ने बताया कि आदिवासी जमीन पर कबजा मुक्त करने के लिए सीएनटी एक्ट की धारा 71ए के तहत भू वापसी का मुकदमा करने का प्रावधान है। भूमि वापसी कानून बना जरूर है लेकिन लंबे समय तक चलने वाली कानूनी प्रक्रिया में डटे रहना निर्धन आदिवासियों के वश में नहीं होता।

यही भू मफियाओं के लिए वरदान भी बन जाता है। मुकदमा की शुरआती डीसीएलआर कोर्ट से शुरू होती है फिर डीसी कोर्ट, आयुक्त होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचता है। निर्णय की कोई तय सीमा नहीं है। एक कोर्ट में पांच से पच्चीस वर्ष भी लग सकते हैं।

फिर उपरी कोर्ट से निचली कोर्ट भी भेजा जा सकता है। इस तरह सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचते चालीस पचास वर्ष लग जाते हैं और लाखों खर्च कर भी आदिवासी अपनी जमीन से वंचित ही रह जाता है। जबकि सरकार की ओर से मुकदमा लड़ने को केवल पांच हजार रुपये मिलते हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें