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सरकार घरेलू मांग को प्रोत्साहित करती रहेगी: वित्त मंत्री

पिछले वर्ष के वित्तीय संकट के दौर में कंपनियों को दी गयी राजकोषीय रियायतें अगले साल से वापस लेने के प्रधानमंत्री के बयान के दो दिन बाद ही वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि सरकार विकसित...

सरकार घरेलू मांग को प्रोत्साहित करती रहेगी: वित्त मंत्री
एजेंसीTue, 10 Nov 2009 03:28 PM
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पिछले वर्ष के वित्तीय संकट के दौर में कंपनियों को दी गयी राजकोषीय रियायतें अगले साल से वापस लेने के प्रधानमंत्री के बयान के दो दिन बाद ही वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि सरकार विकसित अर्थव्यवस्थाओं में सुधार होने तक राजकोषीय प्रोत्साहन जारी रखेगी ताकि घरेलू मांग को बढ़ाया जा सके।

उन्होंने यहां भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन में कहा कि पूरे विश्व विशेष तौर पर विकसित देशों में सुधार होने तक अपेक्षाकृत अधिक घरेलू मांग पैदा करने की जरूरत है।

वित्त मंत्री को उम्मीद है कि 2012 में समाप्त हो रही 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक आर्थिक वृद्धि दर नौ-10 प्रतिशत की वृद्धि दर छू लेगा। उन्होंने कहा कि भारत 60 प्रतिशत उत्पादों का निर्यात यूरोप, उत्तरी अमेरिका और जापान को करता है इसलिए इन बाजारों को होने वाले निर्यात में नुकसान की भरपाई आसान नहीं होगी।

भारत का निर्यात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 17 प्रतिशत है और पिछले एक साल से गिरा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा था कि सरकार अगले साल प्रोत्साहन पैकेज को खत्म करने के लिए उचित कदम उठाएगी।

प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले कहा था कि राजकोषीय प्रोत्साहन लंबे समय तक के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और सरकार को संशोधन संबंधी कदम उठाना पड़ेगा। मुखर्जी ने इस बारे में कहा प्रोत्साहन पैकेज की वापसी के लिए मजबूत घरेलू मांग जरूरी है।

उन्होंने कहा कि सरकार कृषि और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निवेश बढ़ाना पड़ेगा ताकि घरेलू मांग बढ़ाई जा सके और वृद्धि की गति बरकरार रखी जा सके। अगस्त के दौरान औद्योगिक उत्पादन में 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर दर्ज की गई और सितंबर के आंकड़े की घोषणा 12 नवंबर को होनी है।

मुखर्जी ने राजकोषीय प्रोत्साहन मुहैया कराने की जरूरत पर जोर दिया ताकि बचत और निजी निवेश बढ़ाया जा सके। सार्वजनिक निवेश के वित्तपोषण के लिए सरकार के भारी-भरकम उधारी कार्यक्रम का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि 2009-10 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी के 6.8 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। साल 2012 तक इसे घटाकर चार प्रतिशत किया जाएगा।

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