Hindi Newsदो टूक (09 नवम्बर, 2009)
दो टूक (09 नवम्बर, 2009)
लगता है मेट्रो को किसी की नजर लग गई है। तभी तो पिछले कई वर्षो से बेरोकटोक चल रही मेट्रो हादसों का शिकार हो रही है। कभी पटरी से उतर जाती है तो कभी ब्रेक फेल हो जाता है। शुक्र है कि ट्रैक पर अभी तक...
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 09 Nov 2009 12:50 AM
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लगता है मेट्रो को किसी की नजर लग गई है। तभी तो पिछले कई वर्षो से बेरोकटोक चल रही मेट्रो हादसों का शिकार हो रही है। कभी पटरी से उतर जाती है तो कभी ब्रेक फेल हो जाता है। शुक्र है कि ट्रैक पर अभी तक जानलेवा हादसा नहीं हुआ है, ऐसा कभी न हो।
लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि आखिर इसके सिस्टम में ऐसा क्या हो गया है या कौन सी लापरवाही है जिसकी वजह से मेट्रो डगमगाने लगी है। बेशक सरकार सड़क परिवहन सेवा को बेहतर बनाने का दावा करे, लेकिन मेट्रो का मुकाबला मुश्किल है। इसीलिए तो मेट्रो दिल्ली की शान है। और जब शान पर आंच आती है तो दिल में एकदम टीस उठती है।