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न्यायाधीशों का संपत्ति विवरण जल्दी ही वेबसाइट पर

न्यायाधीशों की संपत्ति के खुलासे को लेकर उठ रही मांग के मद्देनजर भारत के प्रधान न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के सभी 21 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का विवरण दे दिया है, जिन्हें जल्द ही आधिकारिक वेबसाइट...

न्यायाधीशों का संपत्ति विवरण जल्दी ही वेबसाइट पर
एजेंसीTue, 03 Nov 2009 01:08 AM
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न्यायाधीशों की संपत्ति के खुलासे को लेकर उठ रही मांग के मद्देनजर भारत के प्रधान न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के सभी 21 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का विवरण दे दिया है, जिन्हें जल्द ही आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जायेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि एक या दो दिन में संपत्ति का विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध हो जायेगा।

दशहरा और दिवाली के उत्सव के दौरान प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति क़ेजी बालकृष्णन और अन्य न्यायाधीशों के अपनी संपत्ति के विवरण को अंतिम रूप देने के बाद इन्हें सार्वजनिक करने का फैसला पिछले सप्ताह किया गया। विवरण को अंतिम रूप देने के लिये कुछ न्यायाधीशों ने पेशेवर चार्टर्ड अकाउंटेंटस की सेवाएं भी लीं।

यह कदम विधिक समुदाय और आम जनता की इस आलोचना की पृष्ठभूमि में उठाया गया है कि लोगों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने की शक्ति रखने वाली देश की सर्वोच्च अदालत सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी सुनिश्चित कराने के लिये संपत्ति का खुलासा करने के संकोच से नहीं निपट सकती।

गत दो सितंबर के ऐतिहासिक फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग के सुप्रीम कोर्ट को दिये गये इस निर्देश को बरकरार रखा कि आरटीआई आवेदक सुभाष सी़ अग्रवाल को सूचना मुहैया करायी जाये। अग्रवाल ने यह जानकारी मांगी थी कि क्या शीर्ष अदालत के न्यायाधीश वर्ष 1997 के एक प्रस्ताव के उद्देश्य के मुताबिक प्रधान न्यायाधीश के समक्ष संपत्ति का खुलासा कर रहे हैं।
   
हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रधान न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश सूचना का अधिकार कानून और साथ ही संपत्ति की घोषणा करने के दायरे में आते हैं। हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रधान न्यायाधीश सूचना का अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक प्राधिकार हैं और संपत्ति की घोषणा से जुड़ी सूचना बतौर प्रधान न्यायाधीश उनकी ओर से दी जानी है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का फैसला किया लेकिन इस बीच न्यायाधीशों की अनिच्छा के चलते सार्वजनिक बहस छिड़ने पर प्रधान न्यायाधीश ने घोषणा की कि न्यायाधीश अपनी संपत्ति का खुलासा स्वेच्छा से करेंगे, जबकि उन्होंने यह दलील दी कि उनके लिये ऐसा करने के लिये कानून के तहत कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं है।

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