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हाफ मैराथन में फिर अफ्रीकी दबदबा, डेरिबा-किटानी बने चैंपियन

पिछले चैंपियन डेरिबा मर्गा और तीन सप्ताह पहले बर्मिंघम में विश्व चैंपियनशिप की विजेता मैरी किटानी ने अपनी ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए कमश: पुरुष और महिला वर्ग का खिताब जीतकर दिल्ली हाफ मैराथन...

हाफ मैराथन में फिर अफ्रीकी दबदबा, डेरिबा-किटानी बने चैंपियन
एजेंसीSun, 01 Nov 2009 01:22 PM
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पिछले चैंपियन डेरिबा मर्गा और तीन सप्ताह पहले बर्मिंघम में विश्व चैंपियनशिप की विजेता मैरी किटानी ने अपनी ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए कमश: पुरुष और महिला वर्ग का खिताब जीतकर दिल्ली हाफ मैराथन में अफ्रीकी वर्चस्व भी कायम रखा।

पिछले चैंपियन इथोपियाई मर्गा घुटने की चोट के कारण यहां अपना पिछला मीट रिकॉर्ड तोड़ने से तो चूक गए लेकिन इसके बावजूद उन्होंने 21 किमी की दूरी में 59.54 मिनट का समय निकालकर अपना खिताब बचाए रखा। उनके ही हमवतन इशेतु वेंडिमु (एक घंटा दो सेंकेड) दूसरे और कीनिया के विल्सन किपसैंग (एक घंटा चार सेंकेड) तीसरे स्थान पर रहे।

मर्गा को इस जीत से 25 हजार डॉलर (लगभग 11 लाख 72 हजार रुपए) मिलेंगे लेकिन वह अपने प्रदर्शन से खुश नहीं दिखे। उन्होंने कहा,"मैंने पिछली बार इससे कम समय (59.15 मिनट) निकाला था और इस बार मैंने 59 मिनट से कम समय में दौड़ पूरी करने का लक्ष्य बनाया था, लेकिन चोट के कारण मैं ऐसा नहीं कर पाया। इसलिए मैं थोड़ा निराश हूं।"
 
महिला वर्ग की चैंपियन किटानी हालांकि भारत में अपनी पहली रेस जीतकर बहुत खुश थी। कीनिया की इस एथलीट ने एक घंटा छह मिनट 54 सेकेंड में दूरी पूरी करके पहला स्थान हासिल किया, जबकि अगले दो स्थानों पर इथोपियाई एथलीट आयेलियु वुडे (एक घंटा, सात मिनट 58 सेकेंड) और अबेरू केबेडे (एक घंटा सात मिनट 59 सेकेंड)  रही ।

बर्मिंघम में एक घंटा छह मिनट 36 सेकेंड का समय निकालने वाली किटानी ने कहा, "मैं विश्व रिकॉर्ड (एक घंटा छह मिनट 25 सेकेंड) को ध्यान में रखकर दौड़ रही थी लेकिन मैं थोड़ा चूक गई। यहां ट्रैक काफी सपाट था लेकिन मुझे दौड़ने में मजा आया और मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं। अगली बार मैं विश्व रिकॉर्ड के उद्देश्य से ट्रैक पर उतरूंगी।"

इन दोनों वर्गों में विजेता को 25 हजार डॉलर, दूसरे स्थान पर रहने वाले को 15 हजार और तीसरे स्थान पर रहने वाले एथलीट को दस हजार डॉलर का इनाम मिला।
    
इस बीच भारत की ओर से राजस्थान के चुरू के रहने वाले दीपचंद सहारन पहले स्थान पर रहे। उन्होंने एक घंटा चार मिनट का समय निकाला। बेंगलुरु में राष्ट्रमंडल खेल और एशियाई खेलों की तैयारियों में लगे दीपचंद का यह सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी है। उन्होंने कहा,"मैंने शुरू में अच्छी तेजी बनाए रखी थी लेकिन बाद में उसमें कमी आ गई।"
    
दीपचंद के बाद भारत से संतोष कुमार (एक घंटा, पांच मिनट 10 सेकेंड) ने दूसरा और सोजी मैथ्यूज (एक घंटा पांच मिनट 18 सेकेंड) ने तीसरा स्थान हासिल किया। ये तीनों वैसे ओवरऑल 17वें, 18वें और 19वें स्थान पर रहे।

महिला वर्ग में उत्तर प्रदेश की लड़कियों ने बाजी मारी लेकिन कोई भी भारतीय धाविका शीर्ष 20 में जगह नहीं बना पाई। देवरिया की 19 वर्षीय सुकन्या माली ने एक घंटा 20 मिनट 11 सेकेंड के साथ पहला स्थान हासिल किया जबकि गोरखपुर की अनुराधा सिंह (एक घंटा, 22 मिनट 04 सेकेंड) दूसरे और आगरा की कमलेश बघेल (एक घंटा, 23 मिनट 43 सेकेंड) तीसरे स्थान पर रही।

सुकन्या इससे पहले चेन्नई हाफ मैराथन में दूसरे स्थान पर रही थी। इस जीत से चार हजार डॉलर (लगभग पौने दो लाख रुपए) की कमाई करने वाली सुकन्या ने कहा," मैं अब पेशेवर मैराथन धावक बन गई हूं और लगातार इसके लिए अभ्यास करती हूं। मैं एक साल में सिर्फ मैराथन से ही दो से ढ़ाई लाख रुपए तक की कमाई कर लेती हूं।"

इसके विपरीत सीआईएसएफ में कार्यरत अनुराधा अब तक 5000 मीटर में दौड़ती रही हैं और यह उनकी पहली हाफ मैराथन है। इसी तरह से रेलवे में टिकट निरीक्षक कमलेश ने अपने भाई से प्रेरणा लेकर 3000 मीटर स्टीपल चेज से मैराथन का रूख किया ।
    
भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने बॉलीवुड स्टार शाहरूख खान की मौजूदगी में विजेताओं को पुरस्कार बांटे। कलमाड़ी ने इस अवसर पर कहा, "दिल्ली हाफ मैराथन के प्रति लोगों का उत्साह देखकर पता चलता है कि केवल क्रिकेट ही नहीं बल्कि ओलंपिक खेलों के प्रति भी उनमें जुनून है। अब देश के अधिकतर शहरों में मैराथन का आयोजन किया जा रहा है और यह अगले साल होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिये आदर्श मंच बन गए हैं।"

 


 

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