स्लिप डिस्क
स्लिपडिस्क का इलाज सरल होते हुए भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने इसे दुरूह बना दिया है। इस समस्या का कारण अधिकतर मांसपेशियों और नसों में अपर्याप्त लचीलापन तथा तनाव माना जाता है। रीढ़ की हड्डी के चारों...
स्लिपडिस्क का इलाज सरल होते हुए भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने इसे दुरूह बना दिया है। इस समस्या का कारण अधिकतर मांसपेशियों और नसों में अपर्याप्त लचीलापन तथा तनाव माना जाता है। रीढ़ की हड्डी के चारों ओर सहारा देने वाली मांसपेशियां तथा लिग्मेंटस लंबे समय तक कठोर, असुविधाजनक स्थिति के कारण संकुचित हो जाती हैं तब उस स्थान में दर्द आरम्भ हो जाता है। निम्न यौगिक क्रियाएं बहुत उपयोगी हैं:
आसन : मकरासन में आराम करें। इस स्थिति में उचित रीति से मालिश, गर्म सेक, शिथिलीकरण तथा योगनिद्रा आदि का भी अभ्यास करना चाहिए। जब रोग में थोड़ा आराम मिलने लगे तो क्षमतानुसार सर्पासन, अर्धशलभासन, अर्ध भुजंगासन, भुजंगासन, सरल धनुरासन, शलभासन, वज्रासन तथा सुप्त वज्रासन आदि का अभ्यास करें।
भुजंगासन की विधि : पेट के बल जमीन पर लेटें। दोनों पैरों को आपस में जोडें। दोनों हाथों को कंधों के अगल-बगल जमीन पर रखते हुए धड़ को हाथों के सहारे जमीन से यथासम्भव ऊपर उठाएं। सिर को अधिकतम पीछे की ओर रखिए। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक पूर्व स्थिति में लौटें।
प्राणायाम : इस समस्या से ग्रस्त लोगों को प्रारम्भ में मकरासन, अष्टासन या ज्येष्टिकासन आदि में लेटकर यौगिक श्वसन एवं उज्जायी श्वसन का खूब अभ्यास करना चाहिए। जैसे-जैसे रोग पर विजय मिलती जाए अभ्यास में नाड़ी शोधन, भ्रामरी तथा ओम आदि प्राणायाम जोड़ लेना चाहिए। किंतु इनका अभ्यास वज्रासन या कुर्सी पर ही बैठकर करना चाहिए।
आहार : तरल और अर्धतरल आहार रोग की गंभीर अवस्था तक लेना चाहिए। सूप, जूस, खिचड़ी आदि सर्वोत्तम हैं। जैसे-2 रोग कम होता जाए दाल, चावल, रोटी, सब्जी आदि आहार में जोड़ लेना चाहिए।