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माया सरकार पर लगा प्रताड़ित करने का आरोप

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी लक्ष्मीकांत शुक्ल ने राज्य की मायावती सरकार पर प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति स्वीकृत करने तथा असंवैधानिक मायावती सरकार...

माया सरकार पर लगा प्रताड़ित करने का आरोप
एजेंसीThu, 22 Oct 2009 06:50 PM
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उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी लक्ष्मीकांत शुक्ल ने राज्य की मायावती सरकार पर प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति स्वीकृत करने तथा असंवैधानिक मायावती सरकार को बर्खास्त कर दिए जाने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल जातिराज नामक विवादित पुस्तक लिखने के बाद शुक्ल को निलंबित कर दिया गया था। अदालत ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी थी। रोक के बावजूद निलंबन की तिथि 12 फरवरी, 2008 से ही शुक्ल को वेतन भुगतान नहीं मिल पाया है।

इससे आहत होकर प्रदेश की मायावती सरकार पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए राज्यपाल बीएलजोशी से उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्वीकृत करने एवं असंवैधानिक बसपा सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग की है।

शुक्ल ने गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 फरवरी, 2008 को हुए उनके निलंबन आदेश को उसी वर्ष 14 मार्च को स्थगित कर दिया था। जांच अधिकारी की नियुक्ति एवं आरोप पत्र जारी किए जाने पर रोक लगा दी गई थी।

उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी 14 नवंबर को दिए अपने निर्णय में उच्च न्यायालय के आदेश को बहाल रखते हुए शुक्ल के विरुद्ध किसी तरह की दण्डात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद फरवरी 2008 से उन्हें वेतन नही दिया जा रहा है।

शुक्ल ने बताया कि राज्य सरकार की प्रताड़ना के विरोध में उन्होंने इसी वर्ष 25 मई को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया था। तीन महीने की अवधि बीत जाने के बावजूद सरकार ने उसे स्वीकृत अथवा अस्वीकृत किए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इसके बाद उन्होंने इस संबंध में पांच अक्तूबर को प्रमुख सचिव (नियुक्ति) को इस संबंध में पुन: अपील की।

शुक्ल ने बताया कि चूंकि प्रथम श्रेणी के अधिकारी को दण्डित करने का अधिकार मुख्यमंत्री को नहीं बल्कि राज्यपाल को है, इसलिए उन्होंने इस संबंध में पूर्ण विवरण से अवगत कराते हुए राज्यपाल जोशी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दिलाने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने उनकी चर्चित पुस्तक जातिराज पर प्रतिबंध लगाने के लिए 5 मई 2008 को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना को पिछले 11 सितम्बर निरस्त कर दिया है। उनकी पुस्तक शीघ्र ही पुन: प्रकाशित होकर पाठकों के बीच आने वाली है।

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