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रबी में भयंकर जल संकट के हालात

रबी के मौसम में हरियाणा को पानी के भयंकर संकट का सामना करना पड़ सकता है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने इस मौसम के दौरान राज्य के लिए कुल 6,247 क्यूसिक पानी की उपलब्धता निर्धारित की है।...

रबी में भयंकर जल संकट के हालात
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 21 Oct 2009 10:44 PM
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रबी के मौसम में हरियाणा को पानी के भयंकर संकट का सामना करना पड़ सकता है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने इस मौसम के दौरान राज्य के लिए कुल 6,247 क्यूसिक पानी की उपलब्धता निर्धारित की है। इसमें से 4,714 क्यूसिक पानी सतलुज, रावी और ब्यास से, जबकि 1,533 क्यूसिक यमुना से मिलेगा।

सहभागी राज्यों के लिए बीबीएमबी द्वारा निर्धारित हिस्से के अनुसार संपर्क बिन्दुओं पर हरियाणा के लिए पानी की कुल उपलब्धता 5,642 क्यूसिक (21 सितंबर, 2009 से लेकर 20 मई, 2010 तक) दिखाई गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 9,031 क्यूसिक था। इस बार पानी की उपलब्धता 37.5 प्रतिशत कमी दर्ज हुई है।

लेकिन समस्या यहीं खत्म नहीं होती। इस अवधि के दौरान मांग अधिक होगी, जबकि पानी का बहाव कम होगा। ऐसे में हरियाणा को 496 क्यूसिक पानी दिल्ली, 332 क्यूसिक राजस्थान और 100 क्यूसिक पंजाब के धनौरी फीडर को देना होगा। ऐसे में हरियाणा के लिए पानी की कुल उपलब्धता 4,714 क्यूसिक ही रहेगी, जिसमें से सतलुज से 3,107 क्यूसिक और रावी-ब्यास से 1,067 क्यूसिक पानी मिलेगा।

वहीं यमुना पर कोई बांध न होने के चलते पानी की उपलब्धता बहाव पर ही निर्भर होगी। सूत्रों का कहना है कि रबी के मौसम के दौरान पिछले कुछ समय से पानी का बहाव घटता ही जा रहा है। वर्ष 2009-10 के दौरान यह 2,483 क्यूसिक रहने का अनुमान है। वजीराबाद बैराज को एक निश्चित स्तर तक भरा रखने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते हरियाणा को इस पानी में से 950 क्यूसिक दिल्ली को देना होगा। इसलिए रबी के दौरान हरियाणा में पानी की वास्तविक उपलब्धता 1,533 क्यूसिक ही रहेगी।

बीबीएमबी के अध्यक्ष एमके गुप्ता ने पानी की कमी स्वीकार करते हुए कहा कि अपर्याप्त मानसून और यमुना के कैचमैंट एरिया में कम बर्फ गिरने के चलते पानी की उपलब्धता घटी है। उन्होंने कहा कि सहभागी राज्यों को उनके हिस्से के पानी के बारे में सूचित करते हुए इसके अनुसार ही योजना तैयार करने को कहा गया है। राज्यों से पानी के इस्तेमाल पर मासिक पूर्वानुमान भी मांगा गया है। बोर्ड राज्यों को उनके हक से ज्यादा पानी देने की स्थिति में नहीं होगा।

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