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हिन्दुस्तान समागम में जुटी हस्तियों में बनी सहमति

बिहार की दशा और दिशा पर पिछले कुछ दिनों से चल रही बहस मंगलवार को आकार लेती नजर आई। हिन्दुस्तान समागम के मंच पर जुटी हस्तियों में राज्य के विकास के लिए भुलाकर साझा अभियान चलाने पर सहमति बनी। यह राय...

हिन्दुस्तान समागम में जुटी हस्तियों में बनी सहमति
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 21 Oct 2009 10:26 AM
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बिहार की दशा और दिशा पर पिछले कुछ दिनों से चल रही बहस मंगलवार को आकार लेती नजर आई। हिन्दुस्तान समागम के मंच पर जुटी हस्तियों में राज्य के विकास के लिए भुलाकर साझा अभियान चलाने पर सहमति बनी। यह राय उभरकर सामने आई कि बिहार के विकास के लिए सबको मिलकर ही लड़ना होगा। हांलाकि इस मुद्दे पर सबकी राय अलग-अलग थी पर उसकी ध्वनी में बिहार को विकास की पटरी पर लाने की ही बात थी।

राजनीति में धुर विरोध और अलग-अलग विचारधाराओं के बावजूद इस मंच पर राजनीति नदारद रही। सबने यह भी माना कि केंद्र सरकार बिहार के साथ लगातार भेदभाव करती रही है। समागम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद, फिल्म अभिनेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. शकील अहमद ,सांसद शिवानंद तिवारी, भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, प्रसिद्ध गांधीवादी चिन्तक रजी अहमद, पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे और डीजीपी आनंद शंकर ने अपनी राय रखी।

समागम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि न्याय के साथ विकास ही उनक लक्ष्य है। हम इस तरह के विकास के पक्षधर नहीं हैं जिसमें कुछ लोगों का विकास हो और समाज का बड़ा हिस्सा उससे वंचित रह जाए। उनका लक्ष्य बिहार को 2015 तक विकसित राज्य बनाना है। बदलाव हो रहा है। पहले पटना में कहीं-कहीं लड़कियां साइकिल से स्कूल जाती थीं। आज गांवों में लड़कियां साइकिल से स्कूल जा रही हैं। यह बड़ा बदलाव है।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भी समागम में पूरे रौ में थे। उन्होंने यह कहकर सबको हैरत में डाल दिया कि केंद्र की कोई भी सरकार बिहार के साथ न्याय नहीं कर पाई। उन्होंने अपनी ओर से यह पेशकश भी कि अगर राज्य के विकास के लिए कोई गैर-राजनीतिक फोरम बनता है तो वे पूरी ताकत से साथ देंगे। उन्होंने कहा कि कुदरत ने एकीकृत बिहार को सबकुछ दिया था। उत्तर में उपजाऊ जमीन थी तो दक्षिण में खनिज का भंडार था। झारखंड अलग हुआ। अब राज्य में नक्सलवाद की समस्या सबसे जटिल है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. शकील अहमद ने इस आरोप को खारिज किया कि राज्य के विकास में केंद्र की नकारारात्मक भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार लोग अपना स्वार्थ छोड़ें और सबकी भलाई में अपनी भलाई देखें तो राज्य का विकास होगा। भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि सत्ता का मुख्य धर्म मानवता का विकास करना है। भाजपा सांसद ने विकास के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज की तारीफ की। लेकिन इस बात पर नाराजगी भी जाहिर की कि विकास की योजनाएं समय पर पूरी नहीं होती है।

भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य सरकार में भूमि सुधार लागू करने की इच्छाशक्ति नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा कि जिस वक्त वे केंद्र में मंत्री थे, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उन्होंने क्यों नहीं उठाई। आज बिहार स्थित बैंकों में 24 हजार करोड़ रुपया जमा है। आखिर क्यों नहीं इस राशि को बिहार में निवेश कराने की कोशिश हो रही है।

जदयू के सांसद शिवानंद तिवारी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर सीधा आरोप लगाया कि उन्हें जनता ने सबसे अधिक ताकत दी थी। मगर वे उसका सदुपयोग नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि आर्थिक समृद्धि के लिए सामाजिक न्याय के सभी मोर्चे को एक मंच पर आना होगा। प्रसिद्ध गांधीवादी रजी अहमद ने कहा कि गैर बराबरी पर आधारित विकास से समाज को कोई लाभ नहीं होगा। नक्सवाद और आतंकवाद गैर-बराबरी की ही देन हैं। झोपड़पट्टी के लोग संपन्न लोगों को भला चैन से कैसे जीने देंगे।

पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे ने कहा कि राज्य में नक्सली समस्या का निदान जरूरी है। दुबे ने कहा कि उन्होंने समान स्कूल आयोग की सिफारिशें सौंप दी थी। मगर पता नहीं उस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हो रही है। प्रारंभ में हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर ने हिन्दुस्तान समागम के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आनेवाले दिनों में ग्लोबल विलेज बनेंगे और इसमें बिहार को अपनी जगह तलाशनी होगी। यह समागम इसी यात्रा की शुरुआत है।

हिन्दुस्तान के वाइस प्रेसीडेंट (बिहार-झारखंड) वाईसी अग्रवाल ने बुके देकर अतिथियों का स्वागत किया। आईबीएन-7 के संपादक आशुतोष ने समारोह का संचालन किया। हिन्दुस्तान के स्थानीय संपादक अकु श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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