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लक्ष्मी की जय विजय हो

मामला चाहे दहेज मांगने का हो या गप्प हांकने का, अब करोड़ रुपये और कार से कोई नीचे बात ही नहीं करता, फिर भारत गरीब देश कैसे हुआ? दहेज और गप्प में हमने दीपावली की असली रस्म जुए को नहीं जोड़ा है,...

लक्ष्मी की जय विजय हो
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 16 Oct 2009 10:10 PM
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मामला चाहे दहेज मांगने का हो या गप्प हांकने का, अब करोड़ रुपये और कार से कोई नीचे बात ही नहीं करता, फिर भारत गरीब देश कैसे हुआ? दहेज और गप्प में हमने दीपावली की असली रस्म जुए को नहीं जोड़ा है, क्योंकि अपन को उसका कोई अनुभव नहीं। उम्मीद है वहां भी यही होता होगा। ताश पर महल खड़े करने वाले तो किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। दीपावली के मौके पर उनकी क्षमताओं पर संदेह भी भला क्योंकर किया जाए।

इसी सब को देखकर लगता है कि दीपावली मनाने का इस देश को पूरा हक है। यहां हालत यह है कि मोटर साइकिल तो फुटपाथ पर बिक रही है। यह बात थोड़ी खटकती जरूर है कि सायकिल ताले समेत स्टैंड से ही गायब हो जाती है। स्टैंड मालिक का साथ पुलिस वाला ही देता है। रिपोर्ट कर आने का चैलेंज भी। कार के जमाने में भी साइकिल स्टैंड वाले का रुतबा भारतीय संस्कृति की यूनिटी इन डायवर्सटी का प्रतीक भी है। मार्क टली तो यहां तक कह गए कि ‘नो फुल स्टॉप इन इंडिया’। यानी कार चले तो चले, पर साइकिल क्यों रुक जाए। सो यह दीपावली अगर कार के प्रेशर हार्न के लिए है तो साइकिल की घनघनाती घंटी के लिए भी।

खैर लक्ष्मी अति प्रसन्न है, पीला और सफेद सोना किसानों के खेत खलिहान मे फूला नहीं समा रहा है। केन्द्र, राज्य नया वेतन मान दे चुका है। यह माहौल दीपावली की पूजा से पहले लक्ष्मी के वरदान मिलने जैसे है। चोर-उचक्के बदमाश-लुटेरे हरकत तो करेंगे ही। पुलिस और सुरक्षाकर्मी भी रोजगार पा रहे हैं। सर्वे भवन्तु सुखनि, सर्वे संतु निरामया। हम चांद पर पानी जैसी अनमोल चीज ढूढ़ आएं हैं। वहां का पानी चांदी, उसे पाना सोना। शरद पूर्णिमा पर तो कवि तक डायरेक्ट टॉक करते हैं। आगे किया करेंगे।

अब थोड़ी महंगाई है तो वह मंदी से उबरने का संकेत है। लालू और लाल टमाटर तो मूल्य के निचले स्तर पर जनता को समर्पित हो गए हैं। राजनीति में लक्ष्मीपति संभ्रांत अभिजात्य वर्ग के सेवक बन कर खडें हैं। जनता उनसे मांगे तो सही। वह तो दर्शन पाकर ही भाव-विह्वल है। ग्रीटिंग डाक कूरियर से चले हैं। वैसे ऑनलाइन आता जाता है। एटीएम सेवारत है। सब कुछ मजेदार दिखता है। स्कूल में शिक्षा, कपड़े, भोजन मुफ्त। अशोक काल की बौद्ध विहार का सा दृश्य है। वाकई समृद्धि पा चुका भारत गहनों, बर्तनों उपकरणों साधनों से भरा है। जय हो लक्ष्मी तेरी!

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