सार्वजनिक स्थलों से अतिक्रमण हटाने के निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की चकरोडों, नालियों व अन्य सार्वजनिक उपयोग की जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने प्रमुख सचिव राजस्व से कहा है कि...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की चकरोडों, नालियों व अन्य सार्वजनिक उपयोग की जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने प्रमुख सचिव राजस्व से कहा है कि वह प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को इस बाबत निर्देश जारी करें। राजस्व अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों का नियमित निरीक्षण करेंगे। एसडीएम और असिस्टेंट कलेक्टर अतिक्रमण की शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई करेंगे।
प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की चकरोडों, नालियों व अन्य सार्वजनिक उपयोग की जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण को तत्काल हटाने के आदेश देते हुए न्यायमूर्ति राकेश शर्मा की एकल पीठ ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों से जबरिया कब्जे की शिकायतें बड़े पैमाने पर मिल रही हैं। गांव की सार्वजनिक भूमि पर चकरोड व नालियों पर कब्जा रोजमर्रा की बात हो गई है। इसका खेती पर भी बुरा असर पड़ रहा है। गांव के चकरोडों पर बैलगाड़ियों, ट्रैक्टरों व वाहनों का एक साथ निकल पाना मुश्किल हो गया है।
पीठ ने पन्नालाल व अन्य की ओर से दायर याचिका खारिज करते हुए फैसले में यह भी कहा है कि गांवों में जिस समय चक काटने की प्रक्रिया शुरू हो उसी समय चकरोड, नाली और ट्रैक्टर, बैलगाड़ी व अन्य वाहनों के आवागमन के मार्ग का भी प्रावधान किया जाना चाहिए। इससे किसान न सिर्फ अपने खेत तक आसानी से पहुंच सकेंगे बल्कि कृषि उपकरण और अन्य उपयोगी वस्तुएं भी खेतों तक सुगमता से पहुंचा सकेंगी। वर्षा के दिनों में पानी निकासी का बंदोबस्त हो। इसी तरह सार्वजनिक भूमि के उपयोग के लिए भी गांववाले स्वतंत्र रहें। पीठ ने कहा है कि राज्य सरकार के साथ-साथ गांव के किसानों का यह उत्तरदायित्व है कि वे गांव के चकरोड, नालियों तथा जमीनों को महफूज रखें। इस मामले में गौतम बुद्ध नगर निवासिनी त्रिवेणी देवी ने पूर्व में एक याचिका दायर कर गांव के दबंगों द्वारा चकरोड, नाली पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया था। पीठ के आदेश से हुई जांच में इसे सही पाया गया। बाद में पन्नालाल व एक दजर्न लोगों ने अतिक्रमण को हटाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे पीठ ने खारिज कर दिया।