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Hindi News...तो तोता रटन से मिलेगी मुक्ति

...तो तोता रटन से मिलेगी मुक्ति

छात्र महज किताबी कीड़ा बनकर नहीं रह जाएं, इसके लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पठन-पाठन एवं मूल्यांकन के तौर तरीकों में बदलाव का फैसला किया है। इसके बारे में जारी ताजा परिपत्र के...

...तो तोता रटन से मिलेगी मुक्ति
एजेंसीTue, 13 Oct 2009 09:00 PM
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छात्र महज किताबी कीड़ा बनकर नहीं रह जाएं, इसके लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पठन-पाठन एवं मूल्यांकन के तौर तरीकों में बदलाव का फैसला किया है। इसके बारे में जारी ताजा परिपत्र के मुताबिक छात्र पढ़ाई की विषय-वस्तु को कितना समझ पाए हैं, इसको आंकने के लिए उन्हें प्रोजेक्ट वर्क दिया जाना चाहिए। इस प्रोजेक्ट रिपोर्ट के तैयार होने पर उस पर पूरी कक्षा के समक्ष चर्चा होनी चाहिए और उसका मूल्यांकन करते हुए ग्रेड प्रदान किया जाना चाहिए। इस ग्रेड को अंतिम परीक्षा परिणाम में शामिल किया जाएगा।

सीबीएसई ने स्कूलों से पाठ्यक्रम के विषयों को आसपास की सामयिक घटनाओं से जोड़ने और उस पर छात्रों के विचारों एवं अनुभव को शामिल करने को कहा है। स्कूलों से छात्रों को आत्म मूल्यांकन करने को प्रेरित करने के लिए भी कहा गया है।

परिपत्र के अनुसार खाली समय में छात्रों द्वारा घर पर पूरा किए जाने वाले गृह कार्य के प्रयोग पर आधारित बनाया जाना चाहिए। इसमें छात्रों के विचारों को शामिल करते हुए शिक्षकों से यह समझाने को कहा गया है कि इन विचारों की क्या उपयोगिता है। विभिन्न विषयों के तुलनात्मक अध्ययन पर भी जोर दिया गया है। कक्षा में पढ़ाए गए विषयों पर गृह कार्य देते समय शिक्षकों से इस बात पर ध्यान देने को कहा गया है कि छात्रों ने उस विषय को कितनी गहराई से समझा है।

सीबीएसई के सचिव सह अध्यक्ष विनीत जोशी ने कहा कि छात्रों के बाह्य मूल्यांकन से इस प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसके कारण छात्र विषयों को रटने पर जोर देते हैं और कैरियर को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण विकल्प उनके हाथ से निकल जाता है।

जोशी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ इस बात का महत्व काफी बढ़ गया है कि हमारे छात्र इस प्रतिस्पर्धा और सामाजिक-आर्थिक बदलाव के लिए कितने तैयार है। इस दिशा में अनुभवों पर आधारित समावेशी शिक्षा महत्वपूर्ण है। सीबीएसई ने छात्रों से पढ़े गए विषयों पर क्विज, चार्ट, पोस्टर, सूची, पावर प्वाइंट प्रस्तुति, क्रासवर्ड पहेली, नारे आदि तैयार करने को कहा है। छात्रों की शैक्षणिक क्षमता के मूल्यांकन के चलन से इतर आवधिक मूल्यांकन पर भी जोर दिया गया है जो यूनिट टेस्ट, विश्लेषण आधारित जांच, मौखिक जांच और अंत में वार्षिक परीक्षा के रूप में हो।

परिपत्र के अनुसार जब एक शिक्षक किसी छात्र को इस आधार पर परखना चाहता हो कि उसने किसी पाठ या यूनिट में क्या सीखा है, तो वह यूनिट टेस्ट ले सकता है। यह मौखिक या लिखित किसी रूप में लिया जा सकता है। इससे शिक्षक को छात्र के मजबूत एवं कमजोर पक्ष का आंकलन करने में मदद मिलेगी और इसी के अनुरूप वह अपनी शिक्षण शैली को प्रभावी बना सकते हैं।

छात्र के ज्ञान की संपूर्ण परख के लिए शैक्षणिक सत्र के अंत में समेटिव परीक्षा ली जाए। इसमें पूरे पाठयक्रम से कठिन एवं सरल प्रश्नों को शामिल किया जाए। इन प्रश्नों में हायर आर्डर थिंकिंग स्क्लिस के 20 प्रतिशत प्रश्न और समझ पर आधरित 40 प्रतिशत प्रश्न होने चाहिए।

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