दो टूक (13 अक्तूबर, 2009)
भीतर के पन्नों पर आज आप एक उम्मीद भरी खबर पढ़ेंगे। खबर है कि दिल्ली के लोग स्थानीय तालाबों के संरक्षण में बढ़ चढ़कर सरकार की मदद कर रहे हैं। जिस शहर में भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा हो, जिसका जल...
भीतर के पन्नों पर आज आप एक उम्मीद भरी खबर पढ़ेंगे। खबर है कि दिल्ली के लोग स्थानीय तालाबों के संरक्षण में बढ़ चढ़कर सरकार की मदद कर रहे हैं। जिस शहर में भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा हो, जिसका जल संतुलन आज भी मानसून का मोहताज हो और जो गंगनहर से सप्लाई में एक हफ्ते की रुकावट भी बर्दाश्त नहीं कर पाता हो, उस शहर के लिए यह वाकई बड़ी खबर है।
तालाब वाटर हार्वेस्टिंग की हमारी प्राचीन और प्राकृतिक विधा है। वे कुओं को जीवन देते हैं। कभी दिल्ली-एनसीआर में सैकड़ों तालाब थे। आज उनके दर्शन दुर्लभ हैं। अगर इन प्रयासों से वे जी उठें तो शहर को सौंदर्य ही नहीं, पेयजल की गारंटी भी मिल जाए। दुआ करें कि पब्लिक और सरकार की भागीदारी कायम रहे।