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अलकायदा का विज्ञान

यह अब कोई नई सूचना नहीं है कि कट्टरवादी और आतंकवादी विचारधारा की तरफ सिर्फ अल्पशिक्षित लोग नहीं खिंचते, अच्छे-खासे पढ़े-लिखे लोग भी उसके प्रभाव में आ जाते हैं। लेकिन फ्रांस में एक परमाणु वैज्ञानिक...

अलकायदा का विज्ञान
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 12 Oct 2009 11:55 PM
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यह अब कोई नई सूचना नहीं है कि कट्टरवादी और आतंकवादी विचारधारा की तरफ सिर्फ अल्पशिक्षित लोग नहीं खिंचते, अच्छे-खासे पढ़े-लिखे लोग भी उसके प्रभाव में आ जाते हैं। लेकिन फ्रांस में एक परमाणु वैज्ञानिक डॉ. एडलीन हाइश्यूर की गिरफ्तारी फिर भी चौंकाने वाली है। हाइश्यूर को अलकायदा के साथ ब्रिटेन में आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

हाइश्यूर कोई विज्ञान का या टेक्नोलॉजी का आम विद्यार्थी नहीं है, वह दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित प्रयोगशलाओं में काम कर चुका है और गिरफ्तारी के वक्त जिनेवा में परमाणु शोध के यूरोशियन संस्थान सर्न में काम कर रहा था, सर्न इस वक्त विज्ञान के इतिहास में अब तक सबसे बड़े और महत्वाकांक्षी प्रयोग में जुटा है। सर्न की 17 किलोमीटर लंबी भूमिगत प्रयोगशाला में सूक्ष्म करणों की खोज के साथ ही हाइश्यूर आतंकवादी हमले की योजना भी बना रहा था, ऐसा फ्रांसिसी सुरक्षा एजेंसियों का कहना है।

अगर डॉ. अब्दुल कादिर खान जैसा वैज्ञानिक पाकिस्तान के लिए परमाणु बम बना सकता है तो हाइश्यूर की योग्यता और कौशल डॉ. खान से कहीं ज्यादा है, और अलकायदा से उसका संबंध खतरे की घंटी तो बजाता ही है। उच्च शिक्षा किसी को उदार या सहिष्णु बनाने की गारंटी तो नहीं है, बल्कि कभी-कभी ज्यादा बुद्धिमान और संवेदनशील दिमागों को शुद्धतावादी विचार ज्यादा आकर्षित करता है। आधुनिक समाज में संस्कृतियों के अंतर्विरोधों में फंसे नौजवान अक्सर उग्र और संकीर्ण विचारधाराओं में शरण ढूंढ़ते हैं।

इसकी एक वजह विज्ञान और तकनीक की पढ़ाई का सभ्यता और संस्कृति के सवालों से कोई संबंध न रखना भी है। पश्चिमी माहौल में अलगाव महसूस करने वाले नौजवान अक्सर धार्मिक कट्टरता के शिकार हो जाते हैं। हाइश्यूर भी अल्बानियाई मूल का फ्रांसिसी है, और फ्रांस के सामाजिक भेदभाव को उसने देखा होगा। दूसरी बात गौर करने की यह है कि परमाणु आतंकवाद का खतरा पूर्व सोवियत संघ से टूटे देशों से नहीं है, जैसी कि पश्चिमी लोकप्रिय मीडिया की लोकप्रिय कथावस्तु रही है। असली खतरा डॉ. ए. क्यू. खान, पाकिस्तानी फौज, अलकायदा और तालिबान से है, जिन्हें बनाने में पश्चिमी राष्ट्रों का विशेष योगदान है। अगर पाकिस्तानी फौजी मुख्यालय पर तालिबान के आक्रमण और डॉ. हाइश्यूर की गिरफ्तारी को जोड़ कर देखा जाए तो स्थिति की भयावहता सामने आती है।

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