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कश्मीर में दर्द की इंतेहां ने पैदा की कई 'रुखसाना'

लश्कर-ए-तय्यैबा के आतंकवादी को मार गिराने वाली राजौरी की लड़की रुखसाना प्रदेश की महिलाओं के लिए आशा की एक किरण बनकर उभरी है। महिलाओं का मानना है कि वर्षों से आतंकवाद और रक्तपात देख रहीं महिलाएं अब...

कश्मीर में दर्द की इंतेहां ने पैदा की कई 'रुखसाना'
एजेंसीMon, 05 Oct 2009 12:46 PM
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लश्कर-ए-तय्यैबा के आतंकवादी को मार गिराने वाली राजौरी की लड़की रुखसाना प्रदेश की महिलाओं के लिए आशा की एक किरण बनकर उभरी है। महिलाओं का मानना है कि वर्षों से आतंकवाद और रक्तपात देख रहीं महिलाएं अब इसका मुकाबला करने के लिए तैयार हो गई हैं।

उज्जैन में रह रही कश्मीरी मूल की प्राध्यापक प्रो अंजना गंजू ने कहा कि कश्मीर में कई अभिभावकों ने भी अब अपनी बच्चियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा रुखसाना ने साबित कर दिया है कि दर्द जब हद से गुजर जाए, तो दवा बन जाता है। कश्मीर की औरतों को आतंकियों ने जुल्म का सबसे आसान शिकार मान रखा है, ऐसे में अगर रुखसाना जैसी और लड़कियां सामने आईं तो निश्चित तौर पर आतंकियों और कहर बरपाने वालों के हौसले पस्त होंगे। रुखसाना कश्मीर की लड़कियों और महिलाओं के लिए निश्चित तौर पर एक आदर्श बन गई है।

प्रो गंजू ने कहा कश्मीर के कई इलाकों में अब अभिभावक ही अपने बच्चों, खास तौर पर लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाने लगे हैं। कई लड़कियों को घर के ही लोग हथियार चलाने का प्राथमिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। सरकार को भी इस तरह की पहल करनी चाहिए।

सरस्वती सम्मान पुरस्कार समिति की सदस्य और साहित्यकार तरन्नुम रियाज ने कहा कि वर्षों से रक्तपात देख रहीं कश्मीर की महिलाओं का धैर्य अब खत्म हो रहा है और वे भी देश की सामान्य महिला की तरह सुरक्षित माहौल में जीने और अपने हक पाने को बेताब हैं।

तरन्नुम ने कहा प्रदेश का महिला वर्ग अब समझ रहा है कि अपनी इज्जत पर हाथ डालने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने पर ही उनके हौसले पस्त किए जा सकते हैं।

रुखसाना को सुरक्षा देने की जरूरत पर बल देते हुए तरन्नुम ने कहा आतंकियों का बहादुरी से मुकाबला करने वाली लड़की और उसके परिवार को सुरक्षा देना निहायत जरूरी हो गया है। एक बार उसके सुर्खियों में आने के बाद अब उसके साथ कुछ गलत होने की आशंका बढ़ गई है। उसे सुरक्षा दी जाए, ताकि आगे भी लड़कियां अपनी और अपने परिवार की इज्जत से खेलने वालों का बिना डरे मुकाबला कर सकें।

इस संबंध में रेडियो कश्मीर, श्रीनगर की सहायक स्टेशन निदेशक रुखसाना जबीन ने कहा कि कश्मीर में जिन हालातों में महिलाएं जीवन बिता रही हैं, वह दुनिया के सामने आना चाहिए। रुखसाना के साहस की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि अत्याचार हद से गुजरने पर प्रदेश की आक्रोशित महिलाओं में अब अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर जागएकता आ रही है।

रुखसाना ने कहा कि महिलाओं को समझ आ रहा है कि जुल्म की इंतेहा पर ऐसी प्रतिक्रिया देना जरूरी हो गया है। अब तक महिलाएं आतंकवाद समेत हर तरह की ज्यादती की आसान शिकार बनतीं आईं हैं, लेकिन कश्मीर में महिलाओं का सब्र अब खत्म हो रहा है।

रूखसाना चाहती हैं कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा खुद करनी चाहिए। उन्होंने कहा महिलाओं के लिए कश्मीर ही नहीं, हर जगह असुरक्षित हो गई है। ऐसे में उनके लिए आगे बढ़ कर स्वयं प्रशिक्षण लेने की जरूरत पैदा हो गई है। आतंकवादी का खात्मा करने वाली लड़की रुखसाना को भी किसी पर निर्भर न रहकर स्वयं अपनी सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए।

कश्मीर के राजौरी में 20 वर्षीय रुखसाना ने गत रविवार की रात उसके घर में घुसे तीन आतंकवादियों का बहादुरी से सामना करते हुए उनमें से एक को मार गिराया। आतंकवादियों ने रुखसाना के अभिभावकों से उसे सौंपने की मांग की थी, जिसे अस्वीकार करने पर आतंकवादियों ने उसके अभिभावकों के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी थी।

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