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कजाकिस्तान में हर दूसरे घर में हैं इंदिरा

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधे दिन के कजाकिस्तान प्रवास ने ऐसा जादू किया कि यहां के अनेक लोगों ने अपनी बेटियों का नाम उनके नाम पर रखने का फैसला किया और यह चलन अब भी जारी...

कजाकिस्तान में हर दूसरे घर में हैं इंदिरा
एजेंसीSun, 04 Oct 2009 09:04 PM
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भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधे दिन के कजाकिस्तान प्रवास ने ऐसा जादू किया कि यहां के अनेक लोगों ने अपनी बेटियों का नाम उनके नाम पर रखने का फैसला किया और यह चलन अब भी जारी है।
 
अपने पिता जवाहर लाल नेहरू के साथ इंदिरा गांधी 1955 में तत्कालीन सोवियत संघ आई थीं। उस दौरान इंदिरा के व्यक्तित्व का ऐसा जादू चला कि अनेक लोगों ने अपनी नवजात कन्या शिशुओं का नाम इंदिरा रख दिया। केंद्रीय मस्जिद में प्रवचन करने वाले 82 वर्षीय सतारहान ने कहा कि इंदिरा नाम ने ज्यादातर लोगों को प्रभावित किया। हर दूसरे घर ने भारतीय नेता के नाम पर अपनी नवजात बेटी का नाम रखने का फैसला किया।

सतारहान की पौत्री का नाम भी इंदिरा है। सतारहान ने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि अल्माटी में आधे दिन के प्रवास के दौरान इंदिरा और नेहरू को सबने देखा। जिसने भी उन्हें देखा वो उनके सौंदर्य, उनकी वाकपटुता और उनके व्यवहार को देखकर अभिभूत रह गया। लोग चाहने लगे की उनकी बेटियां और पौत्रियां उनकी तरह हों और उन्होंने उनके नाम पर उनका नामकरण शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा कि ऐसा चलन था कि हर दसवीं कजाक लड़की का नाम इंदिरा था। चार सितारा होटल में रिसेप्शनिस्ट का काम करने वाली इंदिरा ओस्पानोवा ने कहा कि मेरे दादा-दादी ने जोर दिया कि मेरा नाम इंदिरा होना चाहिए। कजाकिस्तान में भारत के राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि आज भी लड़कियों का नाम इंदिरा रखने का सिलसिला जारी है। सज्जनहार ने बताया कि यह गहरे संबंधों और भारत के प्रति अफगान जनता के प्रेम और स्नेह का परिचायक है।

एयर अस्ताना में फ्लाइट अटेंडेंट का काम करने वाली इंदिरा स्मागुलोवा ने कहा कि दुनिया की महानतम महिला नेताओं में से एक का हमनाम होना बड़ी बात है। मैंने इंदिरा गांधी को सिर्फ तस्वीरों में देखा है और उनके व्यक्तित्व और उनकी शालीनता से काफी प्रभावित हूं। गाइड और दुभाषिया का काम करने वाली रीमा कार्मिसोवा इंदिरा गांधी के पुत्र राजीव से ज्यादा प्रभावित हैं। कार्मिसोवा ने कहा कि अपनी किशोरावस्था में मैं राजीव पर मोहित थी। वह बेहद अच्छे थे। पूर्व सोवियत देशों में गांधी नेहरू परिवार से लोग भलीभांति परिचित हैं। कजाकिस्तान में एक महात्मा गांधी चौक है। वहां कुछ रिहायशी अपार्टमेंट और कुछ व्यापारिक केंद्र हैं।

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