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क्यों दी जा रही है अब हिदायतें?

दिल्ली वालों को सलीका सीखने की हिदायत हमें गृहमंत्री जी ने दे तो दी है और ये बहुत अच्छी बात है। परंतु उन से यह प्रश्न पूछना अत्यंत आवश्यक है कि अब इस अंत काल में हिदायतें क्यों दी जा रही हैं। जब सभी...

क्यों दी जा रही है अब हिदायतें?
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 01 Oct 2009 09:39 PM
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दिल्ली वालों को सलीका सीखने की हिदायत हमें गृहमंत्री जी ने दे तो दी है और ये बहुत अच्छी बात है। परंतु उन से यह प्रश्न पूछना अत्यंत आवश्यक है कि अब इस अंत काल में हिदायतें क्यों दी जा रही हैं। जब सभी मंत्रियों के सिर से पानी गुजरने लगा है। अब वह सारा इलजाम बेचारी जनता पर क्यों डाल रहे हैं। चीन ने ऐसी हिदायतें तीन साल पहले देनी शुरू कर दी थी तथा इस ओर ठोस कदम भी उठाए थे। परंतु यहां ये सभी प्रक्रियाएं इतनी देरी से क्यों हो रही हैं। इस प्रश्न का उत्तर तो बताइए मंत्री जी।
विजया शंखवार, भीम. अम्बे.कॉलेज

पटाखे मत चलाओ
मत चलाओ ये पटाखे। इनसे प्रदूषण होता है। ऐसी खुशी किस काम की जिससे बैर पैदा होता है। माता-पिता अपने बच्चों को समझाएं। पटाखों के हानिकारक जहरीले धुएं से बचाएं। वातावरण को दूषित न करें। स्वस्थ रहने के लिए शुद्ध जलवायु की आवश्यकता है।
देवराज आर्य मित्र, नई दिल्ली

मरहम लगाने से नहीं होगा 
कराला डेसू दफ्तर के आसपास लगभग एक किलोमीटर क्षेत्र में मेन रोड की सड़क टूट कर पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है, जिससे यहां से गुजरनेवाले समस्त छोटे-बड़े वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रात के समय वाहन चालकों की परेशानी और बढ़ जाती है, क्योंकि इस रोड पर पथ-प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। दिल्ली नगर निगम के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा इस सड़क को सुधारने व मरम्मत करने के प्रयास किए जाते हैं वे केवल घाव पर मरहम लगाने के समान है।
विजेन्द्र सिंह डबास,ग्रामीण परिवहन विकास मंच, उत्तर-पश्चिम, दिल्ली

खत्म होती भाजपा
संघ की शागिर्दी भाजपा को आम जन से दूर करती जा रही है, और पार्टी खत्म होने के कगार पर है।
सजग, रायपुर, छत्तीसगढ़

बर्गर की तरह
चकाचौंध में
राह भूल गए
बर्गर खाए
बर्गर की तरह
फूल गए।
वीरेन कल्याणी, शाहदरा, दिल्ली

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