फोटो गैलरी

Hindi News न्याय हुआ पर वे तो नहीं लौट सकते ..

न्याय हुआ पर वे तो नहीं लौट सकते ..

‘न्याय हुआ है। पर हमारा तो कुछ भी वापस नहीं हो सकता। वे (पति) तो अब नहीं लौट सकते। बस और क्या कहूं! ..कुछ समझ में नहीं आता। न्याय पाने में परशानी तो हुई पर विश्वास था। रल पुलिस व अन्य लोगों के सहयोग...

 न्याय हुआ पर वे तो नहीं लौट सकते ..
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

‘न्याय हुआ है। पर हमारा तो कुछ भी वापस नहीं हो सकता। वे (पति) तो अब नहीं लौट सकते। बस और क्या कहूं! ..कुछ समझ में नहीं आता। न्याय पाने में परशानी तो हुई पर विश्वास था। रल पुलिस व अन्य लोगों के सहयोग से न्याय मिला..।’ पति (रिटायर्ड डीआईजी स्व. अनिल कुमार सिंह) के हत्यारों को उम्र कैद की सजा मिलने के बाद गुरुवार की शाम पत्रकारनगर स्थित घर (एमआईजी 203) पर डॉ. मंजू सिंह ने फफकते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।ड्ढr ड्ढr इधर बहरीन से उनके बेटे विनीत यश ने ‘हिन्दुस्तान’ से मोबाइल पर कहा ‘संतोष है कि अपराधियों को दंड मिला। मेर पापा में लड़ने की जो क्षमता थी कम ही लोगों में वैसी होती है। अपने परिवार व यात्रियों की सुरक्षा में शहीद हो गये। ऐसे जाबांज अफसर को सम्मानित करने की बात रल मंत्री और मुख्यमंत्री ने कही थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।’ वर्ष 2002 में स्पेशल ब्रांच के डीआईजी पद से रिटायर होने के बाद अनिल हाइकोर्ट में वकालत कर रहे थे जबकि तीनों बेटे विदेश में नौकरी करते हैं। अचानक चार जून 2006 को हंसती-खेलती गृहस्थी पर ग्रहण लग गया।ड्ढr ड्ढr पत्नी, बहू और दो माह के पोता के साथ घर से मुम्बई जाने के लिए निकले अनिल की डकैती के दौरान लोकमान्य तिलक एक्सप्रस की एसी बोगी में अपराधियों ने हत्या कर दी थी। मनोविज्ञान का प्रोफेसर रह चुकी डॉ. मंजू ने बताया कि अगर बोगी में एक-दो आदमी भी हिम्मत दिखाते तो संभव था ऐसी नौबत नहीं आती। राजेन्द्रनगर टर्मिनल से ट्रेन खुलने के बाद अपने बर्थ पर अनिल मैग्जीन पढ़ रह थे तभी अचानक बदमाशों ने धावा बोल दिया। गोली लगने के बावजूद जब उन्होंने एक अपराधी को पकड़े रखा तब उनके सिर पर बट से प्रहार किया गया। अनिल को अपने पास डंडा रखने का भी शौक नहीं था। रिटायरमेंट के समय ही उन्होंने सरकारी रिवाल्वर लौटा दी थी।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें